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विकासनगर: राष्ट्रीय राजमार्ग निर्माण में ड्यूटी पर घायल चौकीदार की गुहार, 6 माह बाद भी न्याय की प्रतीक्षा

ESI कवरेज जांच के बाद मुआवजा संभव, डेप्युटी लेबर कमिश्नर का आश्वासन

विकासनगर (देहरादून), 4 अक्टूबर 2025 (इंद्रपाल सिंह, जिला प्रभारी, ऑल इंडिया मीडिया एसोसिएशन): उत्तराखंड के देहरादून जिले के विकासनगर क्षेत्र के कुल्हाल गांव के निवासी नौशाद, एक गरीब परिवार के मुखिया, अप्रैल 2025 से चारपाई पर पड़े हैं।

बल्लूपुर-पांवटा साहिब फोर-लेन राष्ट्रीय राजमार्ग निर्माण परियोजना में चौकीदारी के दौरान अज्ञात चोरों के सरियों से हमले में गंभीर रूप से घायल होने के बाद नौशाद को शारीरिक पीड़ा और आर्थिक संकट ने घेर लिया है।

पुलिस शिकायत और मेडिकल दस्तावेजों के अनुसार, हमले में उनकी दोनों टांगें टूट गईं, और ऑपरेशन के बाद टांगों में रॉड डाली गई, लेकिन पूर्ण इलाज के अभाव में वह चल-फिर नहीं पा रहे।

ठेकेदार के मौखिक वादों पर भरोसा कर गुमराह हुए नौशाद अब श्रम विभाग से मुआवजा और सहायता की उम्मीद लगाए हैं।

घटना हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले के पांवटा साहिब थाना क्षेत्र में घटी, जहां नौशाद रात्रि ड्यूटी पर थे। राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) के अधीन आरकेसी इंफ्रा प्राइवेट लिमिटेड द्वारा संचालित इस परियोजना में ठेकेदार के सुपरवाइजर सोनू (प्रतीतपुर निवासी) ने नौशाद को बिना नियुक्ति पत्र या लिखित अनुबंध के एक वर्ष से अधिक समय तक ड्यूटी पर रखा। मेडिकल रिपोर्ट और प्राथमिक तहरीर के अनुसार, चोरों ने निर्माण सामग्री चुराने की कोशिश रोकी तो साइड पर पड़े सरियों से हमला किया।

पांवटा साहिब थाने में दर्ज एफआईआर के छह माह बाद भी कोई गिरफ्तारी या जांच प्रगति नहीं हुई, और मूल मेडिकल रिपोर्ट पुलिस ने उपलब्ध नहीं कराई।
नौशाद के परिवार में उनकी पत्नी (बोलने और सुनने में अक्षम) और एक छोटी बेटी हैं। “सुपरवाइजर ने मौखिक रूप से इलाज और खर्च वहन करने का वादा किया, लेकिन कोई मदद नहीं मिली। हमें मुआवजा प्रक्रिया की जानकारी ही नहीं थी,” नौशाद ने बताया।

परिवार पड़ोसियों की दया पर निर्भर है, और कोई स्थायी आय नहीं है। स्थानीय ग्रामीणों की गवाही से पुष्टि होती है कि नौशाद कंपनी के लिए कार्यरत थे।

छह माह बाद भी एनएचएआई का कोई कर्मचारी या अधिकारी नौशाद से मिलने या सहायता के लिए नहीं पहुंचा।

देहरादून की डेप्युटी लेबर कमिश्नर मधु नेगी चौहान ने मामले पर कहा, “पहले यह जांचा जाएगा कि कार्य क्षेत्र कर्मचारी राज्य बीमा निगम (ESIC) के तहत कवर है या नहीं। यदि कवर है, तो इंजरी का मुआवजा ESIC के माध्यम से मिलेगा। यदि नहीं, तो एम्प्लॉयी कंपेंसेशन एक्ट के तहत क्लेम दर्ज होगा, और पीड़ित को लाभ सुनिश्चित होगा।

एनएचएआई प्रिंसिपल एम्प्लॉयर और ठेकेदार की भूमिका महत्वपूर्ण है। श्रम विभाग में केस फाइल होने पर राहत संभव है।”
नौशाद जिला मजिस्ट्रेट को प्रार्थना पत्र सौंपने और न्यायालय का दरवाजा खटखटाने की तैयारी कर रहे हैं। वह ठेकेदार (आरकेसी इंफ्रा), सुपरवाइजर सोनू, एनएचएआई, और पुलिस की लापरवाही के विरुद्ध कार्यवाही की मांग कर रहे हैं। यह घटना निर्माण श्रमिकों की असुरक्षा, अनौपचारिक नियुक्ति, और इंटरस्टेट समन्वय की कमी को उजागर करती है। ऑल इंडिया मीडिया एसोसिएशन, देश का सबसे बड़ा मीडिया संगठन, इस मामले को उजागर कर रहा है, और प्रशासन से अपेक्षा है कि नौशाद और उनके परिवार को शीघ्र न्याय मिले।

(इंद्रपाल सिंह, जिला प्रभारी, ऑल इंडिया मीडिया एसोसिएशन

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