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स्वदेशी और आत्मनिर्भरता का कोई विकल्प नहीं मोहन भागवत.

स्वदेशी और आत्मनिर्भरता का कोई विकल्प नहीं मोहन भागवत

नागपुर: सर संघ चालक मोहन भागवत ने कहा है कि स्वदेशी और आत्मनिर्भरता का कोई विकल्प नहीं है। हमें आत्मनिर्भर बनकर और वैश्विक एकता को ध्यान में रखते हुए यह सुनिश्चित करना होगा कि हम किसी पर निर्भर न रहें और अपनी इच्छानुसार कार्य करें। संघ प्रमुख ने यहां आयोजित राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के शताब्दी समारोह में कहा कि स्वदेशी तथा स्वावलंबन को कोई पर्याय नहीं है। ऐसे में हमें अपनी समग्र व एकात्म दृष्टि के आधार पर अपना विकास पथ बनाकर, विश्व के सामने एक यशस्वी उदाहरण रखना पड़ेगा। इसके साथ ही अर्थ व काम के पीछे अंधी होकर भाग रही दुनिया को पूजा व रीति रिवाजों के परे, सबको जोड़ने वाले, सबको साथ में लेकर चलने वाले, सबकी एक साथ उन्नति करने वाले धर्म का मार्ग दिखाना ही होगा।

उन्होंने आगे कहा कि विश्व परस्पर निर्भरता पर जीता है, परंतु हमें आत्मनिर्भर होकर, विश्व जीवन की एकता को ध्यान में रखना होगा। हमको ऐसा बनना पड़ेगा कि जहां हम इस परस्पर निर्भरता को अपनी मजबूरी न बनने देते हुए स्वेच्छा से जी सकें।

श्री भागवत ने कहा कि देश में एक आदर्श व्यवस्था बनाने का काम सिर्फ शासन की ज़िम्मेदारी नहीं है। ऐसा इसलिए है क्योंकि शासन की संरचना में बदलाव लाने की क्षमता और इच्छा सीमित होती है। ऐसे में सामाजिक बदलाव के लिए जागरूकता और समाज के व्यवहार में बदलाव ज़रूरी है। हमें सक्रिय सामाजिक जागरूकता पैदा करनी चाहिए और जो लोग ऐसा करते हैं, उन्हें बदलाव के जीवित उदाहरण बनना चाहिए।

श्री भागवत ने कहा कि देश में राष्ट्रवादी भावना का खासकर युवा पीढ़ी में सांस्कृतिक पहचान पर विश्वास और आत्म-सम्मान बढ़ रहा है। इसके साथ ही स्वयंसेवकों के साथ-साथ, कई धार्मिक, सामाजिक संस्थाएं और व्यक्ति भी समाज के वंचित तबकों की निःस्वार्थ सेवा के लिए आगे आ रहे हैं।

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