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पराली मुक्त श्योपुर-अभियान के लिए ग्राम पंचायत सिरसौद के अधीन गांव शाहपुरा में कार्यक्रम आयोजित किया।

✍️श्योपुर। जिले में इस बार रबी और खरीफ सीजन में किसानों को पराली जलाने से रोकने के लिए प्रशासन ने एक बड़ा कदम उठाया है। “पराली मुक्त श्योपुर” अभियान के तहत ग्राम सेवकों को गांव-गांव नेतृत्व करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। अभियान का उद्देश्य है कि खेतों में फसल कटाई के बाद बचने वाले अवशेषों (पराली) को जलाने की बजाय उसका सही उपयोग हो, जिससे न केवल मिट्टी की उर्वरक क्षमता बनी रहे बल्कि प्रदूषण और पर्यावरण संकट से भी बचा जा सके।

ग्राम सेवकों ने गांवों में बैठकों का आयोजन कर किसानों को समझाया कि पराली जलाने से जहां जमीन की उपजाऊ शक्ति नष्ट होती है, वहीं वायु प्रदूषण और स्वास्थ्य संबंधी गंभीर समस्याएं भी उत्पन्न होती हैं। इसके साथ ही पराली जलाने से वातावरण में कार्बन का स्तर बढ़ जाता है, जिससे ग्लोबल वार्मिंग जैसी समस्याएं और गहरा जाती हैं।

जानकारी देते हुए कृषि विस्तार अधिकारी शिवसिंह ने बताया कि पराली को नष्ट करने के बजाय किसान यदि उसे खाद, चारे या बायो-फ्यूल के रूप में उपयोग करें तो इससे आर्थिक लाभ भी प्राप्त हो सकता है। सरकार ने इसके लिए कई योजनाएं चलाई हैं, जिनमें किसानों को मशीनरी उपलब्ध कराई जा रही है ताकि पराली को खेतों में मिलाकर उर्वरक के रूप में बदला जा सके।
ग्राम सेवक अब गांवों में किसानों के बीच उदाहरण प्रस्तुत कर रहे हैं। कई स्थानों पर किसानों ने स्वयं संकल्प लिया है कि वे पराली नहीं जलाएंगे। ग्राम सेवक किसानों को प्रोत्साहित कर रहे हैं कि वे पराली का प्रबंधन करके अपने खर्च को कम करें और मिट्टी की उर्वरता बढ़ाएं।

अभियान के दौरान बच्चों और युवाओं को भी जोड़ा गया है ताकि आने वाली पीढ़ी पर्यावरण संरक्षण का महत्व समझे। ग्राम पंचायतों में पोस्टर, पेम्फलेट और नुक्कड़ नाटक के जरिए जागरूकता कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। स्कूलों के बच्चे “पराली मुक्त गांव – स्वच्छ वातावरण” का नारा देकर गांव वालों को प्रेरित कर रहे हैं।
इसी के तहत आज दिनांक 04-10-2025 को ग्राम पंचायत सिरसौद के गांव शाहपुरा में पुराली प्रबन्धन के लिए शिविर का आयोजन किया गया जिसमे कृषि विस्तार अधिकारी शिवसिंह, पटवारी अखिलेश जैन ,सचिव राभ भरत सुमन,बुद्धिप्रकाश नागर कोटवार और गांव के कृषक उपस्थित हुए।

जिला प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि यदि कोई किसान पराली जलाता पाया गया तो उस पर जुर्माना भी लगाया जाएगा। वहीं, जो किसान पराली प्रबंधन को अपनाएंगे उन्हें सरकार की योजनाओं में प्राथमिकता दी जाएगी।

ग्राम सेवकों के नेतृत्व में यह अभियान तेजी पकड़ रहा है। गांव-गांव से आ रही खबरों के अनुसार किसानों में सोच बदल रही है और वे पराली जलाने की परंपरा छोड़कर पर्यावरण बचाने की दिशा में कदम बढ़ा रहे हैं।

“पराली मुक्त श्योपुर” का यह संकल्प अब गांव-गांव आंदोलन का रूप ले रहा है। प्रशासन, कृषि विस्तार अधिकारी श्री शिवसिंह और किसानों की साझा कोशिशें अगर इसी तरह जारी रहीं तो श्योपुर जिला प्रदेश के लिए एक मिसाल बन सकता है।

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