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हीरों की भूमि पन्ना और श्री जुगुल किशोर जी का दिव्य इतिहास”

पन्ना और छतरपुर का इतिहास तथा श्री जुगुल किशोर जी महाराज की उत्पत्ति और मान्यता

पन्ना का इतिहास
मध्यप्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र में स्थित पन्ना नगर ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और धार्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान रखता है। यह नगर कभी गोंड राजाओं के अधीन था। बाद में बुंदेला वंश के महान योद्धा महाराजा छत्रसाल बुंदेला ने पन्ना को अपनी राजधानी बनाया। 18वीं शताब्दी में बुंदेला साम्राज्य का यह प्रमुख केंद्र बन गया। स्वतंत्रता के बाद पन्ना भारत में विलय हुआ और 1956 में इसे मध्यप्रदेश का जिला घोषित किया गया।

पन्ना की प्रसिद्धि
पन्ना को “भारत की हीरा नगरी” कहा जाता है। यहाँ की हीरा खदानें विश्व प्रसिद्ध हैं। प्राकृतिक दृष्टि से केन नदी, रानेह फॉल्स, पन्ना नेशनल पार्क और अजयगढ़ किला यहाँ के प्रमुख आकर्षण हैं। धार्मिक दृष्टि से यह भूमि श्री जुगुल किशोर जी महाराज, श्री बलदेव जी, महामति प्राणनाथ जी मंदिर और पांडव गुफाओं के कारण पवित्र मानी जाती है।

श्री जुगुल किशोर जी महाराज की उत्पत्ति व मान्यता**
श्री जुगुल किशोर जी मंदिर पन्ना नगर का प्रमुख धार्मिक केंद्र है। इसका निर्माण राजा हिंदूपत सिंह बुंदेला द्वारा लगभग 1758 से 1778 के बीच करवाया गया था। मंदिर में भगवान श्रीकृष्ण और राधा रानी की युगल प्रतिमा स्थापित है, जिन्हें प्रेमपूर्वक “श्री जुगुल किशोर जी महाराज” कहा जाता है।
‘जुगुल’ शब्द संस्कृत के ‘युगल’ से बना है, जिसका अर्थ है जोड़ी या मिलन — अर्थात् राधा-कृष्ण का दिव्य संगम।

लोककथाओं के अनुसार यह प्रतिमा वृंदावन से पन्ना लाई गई थी। कहा जाता है कि राजा हिंदूपत सिंह को स्वप्न में श्रीकृष्ण के दर्शन हुए और उन्होंने आदेश दिया कि उन्हें पन्ना लाया जाए ताकि यहाँ भी वृंदावन जैसी भक्ति का प्रकाश फैले। तभी से पन्ना को “मिनी वृंदावन” कहा जाने लगा।

धार्मिक मान्यता
भक्तों की मान्यता है कि श्री जुगुल किशोर जी के दर्शन से मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं। विशेष रूप से संतान प्राप्ति, स्वास्थ्य लाभ और पारिवारिक सुख-शांति के लिए भक्त यहाँ आते हैं। पितृ पक्ष में यहाँ विशेष तर्पण-विधि होती है, जिसमें भगवान को श्वेत वस्त्र और भोग अर्पित किए जाते हैं। जन्माष्टमी, राधाष्टमी, दीपावली और होली पर मंदिर में विशेष झांकी और भजन संध्या होती है।

मंदिर के दर्शन का क्रम
प्रातः आरती – सुबह 5:00 बजे
मध्यान्ह भोग – दोपहर 12:00 बजे
संध्या आरती – शाम 7:00 बजे
पूर्णिमा और शुक्रवार को विशेष भोग व आरती होती है।

निकटवर्ती धार्मिक स्थल
पन्ना में श्री प्राणनाथ जी मंदिर, श्री बलदेव जी मंदिर, केन नदी तट, पांडव गुफाएँ और अजयगढ़ किला प्रसिद्ध हैं। वहीं छतरपुर का खजुराहो मंदिर समूह विश्व धरोहर स्थल के रूप में प्रसिद्ध है।

निष्कर्ष
पन्ना केवल हीरों की नगरी नहीं, बल्कि भक्ति, संस्कृति और अध्यात्म की भूमि है। यहाँ के श्री जुगुल किशोर जी महाराज राधा-कृष्ण के उस दिव्य स्वरूप के प्रतीक हैं, जो प्रेम, करुणा और शांति का संदेश देते हैं। जो श्रद्धा और भक्ति से इनके दर्शन करता है, उसके जीवन में आनंद, सौभाग्य और मन की शांति का प्रकाश फैलता है।

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