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*दीपोत्सव=भीतर के दीप को प्रज्वलित करें।*

*दीपोत्सव=भीतर के दीप को प्रज्वलित करें।*

बीकानेर तेरापंथ भवन में आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या शासन श्री साध्वी मंजू प्रभा जी एवं शासन श्री कुंथू श्री जी के सानिध्य में बीकानेर महिला मंडल के तत्वाधान में दीपोत्सव का प्रकाशित कार्यक्रम का आयोजन किया गया। साध्वी मंजू प्रभा जी ने सभी को प्रेरित करते हुए फरमाया= दीपोत्सव का पर्व प्रकाश का पर्व है। भीतर के अवगुण को दूर करके गुणों को स्वीकार कर अंतर का जागरण किया जा सकता है। सम्यकत्व रूपी दीपक को जलाकर आत्मोत्कर्ष करने का प्रयास करें। साध्वी कुंथू श्री जी ने फरमाया=दीपक प्रकाश व उजास देता है। बाहरी व अभ्यंतर प्रकाश दोनों जरूरी होते हैं। दीया संस्कृति का प्रतीक है। बाह्यय प्रकाश रंग-बिरंगे होते हैं।भीतर के प्रकाश को भी रंगीन बनाया जा सकता है। उसके लिए कुछ बातों को जीवन में लाना जरूरी है। जिससे जीवन में बाहरी और आध्यात्मिक विकास हो सकता है।
1 आरोग्य=पहला सुख निरोगी काया। शरीर स्वस्थ नहीं है, तो दुनिया की दौलत भी काम नहीं आएगी। जहां आदि व्याधि उपाधि नहीं, वहां समाधि स्वतः प्राप्त है।
2बोधि लाभ= जिसके अंतर दृष्टि जागृत हो गई है, वह हर परिस्थिति में समत्व प्रतिष्ठित कर लेगा। 3समाधि= शांति से संपन्न व्यक्ति का मानस इतना सध जाता है, कि उसकी समाधि में कोई भी निमित्त तनिक भी विक्षेप नहीं कर सकता।
4 निर्मलता= चेतना के आंगन में कर्म कचरा, अहंकार, छलना, नकारात्मक भावों को बुहार कर संयम तप का दीप जलाएं।
5 तेजस्विता= गंभीरता निर्मलता जैसे गुण को प्राप्त करने तीर्थंकरों की भक्ति करते हुए स्वयं को प्रभावित करें। मैं चंद्र के समान निर्मल, सूर्य सम तेजस्वी, सागर के समान गंभीर बनू।सिद्ध भगवान मुझे सिद्धि प्रदान करें। ये 6 गुण जीवन में आ जाए तो यह लक्ष्मी का पर्व दिवाली भीतर की लक्ष्मी को बढ़ाने वाला हो सकता है।
हर दिन नया है,
हर रात निराली है,
दिल में अगर मोहब्बत है, तो हर रोज दिवाली है। तेरापंथ महिला मंडल द्वारा आयोजित तेरापंथ प्रबोध के 25 गाथा के आधार पर एक प्रतियोगिता रखी गई, जिसमें सभी बहनों ने बढ़ चढ़कर भाग लिया। प्रतियोगिता बहुत ही नए अंदाज में रखी गई। बहनों ने सआनंद उसमें भाग लिया।साथ ही सावन भाद्रव मास में हुई प्रतियोगिताओं का पुरस्कार वितरण एवं तत्व ज्ञान परीक्षा में भाग लेने वाले प्रतिभागियों का सम्मान किया गया। कार्यक्रम का कुशल संचालन किश्ती सेठिया ने किया।

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