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इन्दौर जिला न्यायालय में अपर सत्र न्यायालय ने जमानत क्यों नहीं दी व्यक्ति क़ो।

एक एफआईआर 44/2025 इन्दौर क्राइम ब्रांच में होती है कि धर्मेंद्र वाधवानी जयपुर राजस्थान निवासी ने इन्दौर निवासी आकांक्षा पत्नी विवेक वाजपेई से --दी दाऊ ओ मोन्टेजा, मामतोरी कलाम गांव, मनोहरपुरा, तहसील शाहपुरा, जयपुर राजस्थान में विला दिलाने के नाम पर
आनलाइन 22 लाख की ठगी की है । मार्च 2024 में एफआईआर होती है और सितम्बर 2025 में व्यक्ति की गिरफ्तारी होती है। ठगी का पैसा आनलाइन कोटक महिंद्रा बैंक में जमा होना बताया गया।
जो पर्सनल लोन लेकर 2023 में देना बताया गया।

एफआईआर में कहीं भी डेबिट अकाउंट का नम्बर नहीं लिखा गया है। किस बैंक का था नहीं बताया गया है।
पर्सनल लोन अकाउंट नंबर क्या हैं नहीं बताया गया । कितनी राशि का लोन लिया गया नहीं बताया गया।

व्यक्ति को गिरफतार कर मूसा खेड़ी जिला जेल इन्दौर मध्यप्रदेश में बंद कर दिया गया है 28 सितम्बर 2025 को।

क्राइम ब्रांच का एक सदस्य परिवार को वकील का नम्बर देता है कि केस के लिए ये वकील कर ले। परिवार ने दूसरा वकील किया जिसे जेल में बन्द व्यक्ति से मिलने नहीं दिया गया। वहीं वकील हुआ जो क्राइम ब्रांच इन्दौर ने चाहा। फीस 50000/- सेशन कोर्ट में बेल दिलाने की। परिवार ने 40000/- का भुगतान अग्रिम कर दिया।

15/10/2025 को परिवार के सदस्य ने खड़े होकर बेल एप्लीकेशन लगवाई कि पैसे दे दिए तो केस पर काम करें। 16/10/2025 को सेशन कोर्ट में सुनवाई थी। वकील साहब एक ऐसा बैंक स्टेटमेंट ले आये जिसपर बैंक की मुहर नहीं थी। बैंक खाता किसका है , क्या नम्बर है नहीं पता , बस तारिख और पैसा इस तारिख को पैसा इतना जमा हुआ है क्रेडिट अकाउंट में।

वकील साहब ने रेरा राजस्थान (रियल एस्टेट रेगुलेटरी बाड़ी) के कागज नहीं लगाये कि ये प्रोजेक्ट रेरा राजस्थान से रजिस्टर्ड है वर्तमान में लेप्स है । जब भुगतान हुआ तब रजिस्टर्ड प्रोजेक्ट था पर महिला ने फेसबुक पर फर्जी विज्ञापन की बात कही ।

जिसे गिरफ्तार किया गया है उसे बेल एप्लीकेशन की सुनवाई के समय कोर्ट नहीं लाया गया कि वो अपनी बात जज साहब के समक्ष रख सके। परिवार से कहा गया वीडियो कान्फ्रेंसिंग से उसे जेल से जोड़ा जायेगा और वो अपनी बात रखेगा। बाद में मुकर गये कि इन्दौर में जेल में बन्द व्यक्ति को बोलने का अधिकार नहीं होता । वकील और जज ही सब तय करते है‌ ।

BA/4065/2025 बेल मामले में 16/10/2025 को इन्दौर जिला न्यायालय मध्यप्रदेश से जमानत पर रिहा करने से इन्कार करने पर कारण पूछा गया कि क्यों नहीं मिली बेल। कहां गया सेशन कोर्ट के जज अपनी पावर का इस्तेमाल करते ही नहीं है वो मामले को हाईकोर्ट भेज देते हैं। हाईकोर्ट में बेल एप्लीकेशन लगाने की फीस 1,00,000/- बतायी गयी है परिवार को।

सम्बंधित वकील द्वारा परिवार को धमकाया गया है कि राजस्थान से वकील किया या केस राजस्थान ट्रांसफर कराया तो व्यक्ति को कभी जेल से बाहर आने नहीं दिया जायेगा।

एक इन्दौर का वकील, जयपुर के गिरफ्तार व्यक्ति के परिवार की महिला सदस्य को धमकाता है।

MP09010656472025 case CNR no.
एक ऐसा स्केम जो दिखता नहीं, पर हैं , कि पहले अधूरे तथ्यों के आधार पर हुई एफआईआर से व्यक्ति को गिरफतार करो , फिर परिवार से लाखों रूपये जमानत पर रिहा करने के नाम पर छीन लो।

परिवार जयपुर से जब इन्दौर जाता है कानूनी कार्यवाही के लिए तो लौटते समय जयपुर की बस नहीं होती स्टेण्ड पर। सारी बसें गायब कि रात को ही बस जाती है दिन में नहीं। 16/10/2025 इन्दौर से कोटा की बस लेकर महिला सदस्य जाती है तो सुनसान जगह पर सारी बस खाली हो जाती है और महिला को भी वहीं उतार दिया जाता है तब 112 नम्बर पर पुलिस मदद से महिला को जयपुर की बस मिलती है। असुरक्षित यात्रा करने पर मजबूर किया जाता है।

क्या जानबूझ कर लोगों को त्यौहार पर गिरफ्तार कर जेल भेजा जा रहा है और बेल के नाम पर परिवारो से लाखों रूपये लूटे जा रहे हैं। क्या पूरी न्यायिक व्यवस्था इसमें शामिल हैं।

कौन रोकेगा इस अन्याय को।

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