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भारत के मुख्य न्यायमूर्ति भूषण रामकृष्ण गवई का महेश्वरी प्रसाद इण्टर कॉलेज आलमचन्द्र के वार्षिक दिवस समारोह में हुआ आगमन,दीप शुभारंभ किया गया l

बच्चे देश के भविष्य है कल का भारत कैसा रहेंगा यह बच्चो पर निर्भर है...मुख्य न्यायमूर्ति बीआर गवई

कौशाम्बी...भारत के मुख्य न्यायमूर्ति भूषण रामकृष्ण गवई का महेश्वरी प्रसाद इण्टर कॉलेज आलमचन्द्र के वार्षिक दिवस समारोह मे आगमन हुआ। उन्होंने दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया।
भारत के मुख्य न्यायमूर्ति भूषण रामकृष्ण गवई ने महेश्वरी प्रसाद इंटर कॉलेज द्वारा संचालित छात्रवृत्ति स्व0 “प्रतिभा श्रीवास्तव स्मृति छात्रवृत्ति” के तहत् छात्रा जान्हवी को प्रदान किया। इसके साथ ही उन्होंने “स्व0 शकुन्तला श्रीवास्तव स्मृति छात्रवृत्ति” के तहत् छात्राओं-सना परवीन, सृष्टि यादव व मनोरमा कुमारी एवं छात्र अभिषेक कुमार तथा “विश्वेषनाथ एकल छात्रवृत्ति” के तहत् छात्रा-प्रियंका गुप्ता एवं छात्र आयुष सिंह व नितिन सिंह को प्रदान किया। भारत के मुख्य न्यायमूर्ति ने अपने सम्बोधन में कहा कि न्यायामूर्ति विक्रम नाथ अपने जड़ों से जुड़े हुए हैं। व्यक्ति कितना ही बड़ा बन जाय, उसे अपने जड़ों से जुड़ा रहना चाहिए। संस्कृति एवं परम्परा को भूलना नहीं चाहिए। विद्यालय के बच्चों ने बहुत ही अच्छा कार्यक्रम प्रस्तुत किया। इससे पता चलता है कि इस विद्यालय की शिक्षा व्यवस्था बहुत ही अच्छी है। “विविधता में एकता” हमारे देश का मूल है। कौशाम्बी की धरती भगवान गौतम बुद्ध के कार्य के लिए जानी जाती हैं। यहॉ की संस्कृति अति महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि शिक्षा का अधिकार अधिनियम 14 वर्ष तक के बच्चों को निःशुल्क शिक्षा का प्राविधान करता है। उन्होंने बच्चां से कहा कि आप इस देश के भविष्य है। कल का भारत कैसा रहेंगा, यह आप पर निर्भर करता है। न्यायमूर्ति सर्वोच्च न्यायालय विक्रमनाथ ने बच्चों से कहा कि शिक्षा व मेहनत बहुत ही महत्वपूर्ण है। शिक्षा और मेहनत से हम आगे बढ़ सकते हैं।मुख्य न्यायमूर्ति इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने अपने सम्बोधन में कहा कि सन-1966 में जब यह क्षेत्र शिक्षा के आलोक से वंचित था, तब इस विद्यालय की नीव रखी गई। इस कठिन और पिछड़े क्षेत्र में शिक्षा का बीज बोना किसी यज्ञ से कम नहीं है। शिक्षा के बीज ने 2700 से अधिक विद्यार्थियों का एक विशाल वटवृक्ष का रूप लिया है। यह ऑकड़े मात्र संख्या नहीं है, यह ग्रामीण भारत के अदम्य इच्छाशक्ति का प्रतीक है, जो ज्ञान के माध्यम से अपने भाग्य को बदलने का साहस रखते हैं। यह कॉलेज केवल एक इमारत नहीं है, यह ग्रामीण प्रतिभाओं को राष्ट्र निर्माण की मुख्य धारा से जोड़ने का एक पुल हैं। हमारे संविधान के अनुच्छेद 21(क) ने 06 से 14 वर्ष तक के बच्चों को निःशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा का अधिकार दिया है। उन्होंने कहा कि शिक्षा वह कुंजी है, जो लोकतंत्र के हर ताले को खोल सकती हैं। शिक्षा वह ज्ञान है, जो किसी भी व्यक्ति को अदालत तक ले जाकर अपने अधिकार को मांगने की शक्ति देता है। शोषण के विरूद्ध आवाज उठाने का साहस देती है। शिक्षा वह कलम है, जिससे आप अपना और राष्ट्र का भविष्य लिखेंगे। शिक्षा केवल नौकरी पाने का माध्यम नहीं है, अपितु यह आपके व्यक्तिगत चरित्र और राष्ट्र निर्माण में भी योगदान देती है। इस अवसर पर न्यायामूर्ति इलाहाबाद उच्च न्यायालय कुणाल रवि सिंह व सौमित्रा दयाल सिंह सहित अन्य न्यायामूर्तिगण, प्रबन्धक वत्सल नाथ एवं प्रधानाचार्य जितेन्द्र नाथ श्रीवास्तव तथा मण्डलायुक्त प्रयागराज सौम्या अग्रवाल, पुलिस महानिरीक्षक अजय कुमार मिश्रा, जिलाधिकारी डॉ0 अमित पाल, पुलिस अधीक्षक राजेश कुमार एवं मुख्य विकास अधिकारी विनोद राम त्रिपाठी सहित अन्य अधिकारीगण उपस्थित रहें।

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