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सरयू नदी तट पर दीपदान महोत्सव: पूर्णिया सिटी में दीपों का सागर, आस्था और आनंद का संगम

संवादाता
मेराज सिद्दिकी
(पूर्णिया बिहार)

पूर्णिया सिटी के सरयू नदी तट पर इस वर्ष भी दीप दिवाली आरती का भव्य आयोजन बड़े ही धूमधाम से किया गया। हर वर्ष की तरह इस बार भी दीपावली के ठीक पंद्रह दिन बाद यानी कार्तिक पूर्णिमा के शुभ अवसर पर यह अद्भुत दृश्य देखने को मिला। माना जाता है कि इसी दिन देवताओं ने गंगा, सरयू और अन्य पवित्र नदियों में स्नान किया था, इसलिए इसे “देव दीपावली” भी कहा जाता है।

शाम ढलते ही सरयू नदी के घाट पर हजारों दीपक एक साथ जल उठे, जैसे धरती पर तारों का सागर उतर आया हो। नदी के जल में झिलमिलाती दीपों की परछाई मन को भक्ति और शांति से भर दी है। पूरा घाट रंग-बिरंगी लाइटों, फूलों और केसरिया झंडों से सजाया गया था। आयोजन में शामिल हजारों श्रद्धालुओं ने नदी में दीप प्रवाहित कर परिवार और समाज की सुख-समृद्धि की कामना की।

कार्यक्रम में काशी से आए पुरोहितों ने वैदिक मंत्रोच्चार के साथ गंगा आरती की भव्य विधि संपन्न की। ढोल-नगाड़ों और शंखध्वनि के बीच वातावरण में अद्भुत ऊर्जा और आध्यात्मिकता का संचार हुआ। छोटे-बड़े सभी दीपदान में भाग लेते दिखे — बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक के चेहरों पर भक्ति और आनंद की चमक थी।

इस पूरे आयोजन ने पूर्णिया सिटी की धार्मिक परंपरा को एक नई पहचान दी। लोगों ने कहा कि सरयू नदी की दीप आरती अब केवल एक अनुष्ठान नहीं, बल्कि पूर्णिया की आस्था और एकता का प्रतीक बन चुकी है।

“जब दीप जलते हैं सरयू किनारे, तब लगता है खुद भगवान उतर आएं हमारे द्वारे।” ✨

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