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पीएम मोदी की विश्व विजेता महिला खिलाड़ियों से संवाद और सम्मान"



    ✍️ लेखक :  जयदेव राठी 

बेटियों की विजय और नेतृत्व की प्रेरणा भारतीय महिला क्रिकेट टीम की 2025 आईसीसी वनडे विश्व कप जीत ने पूरे देश को एक जज्बे से सराबोर कर दिया है। 2 नवंबर को नवी मुंबई के डीवाई पाटिल स्टेडियम में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ 52 रनों की शानदार जीत ने न केवल 52 वर्ष पुराने इंतजार को विराम दिया, बल्कि भारतीय महिला खेलों के इतिहास में एक स्वर्णिम अध्याय जोड़ा। हरमनप्रीत कौर की कप्तानी में स्मृति मंधाना, दीप्ति शर्मा, प्रतिका रावल और शेफाली वर्मा जैसी योद्धाओं ने जो दृढ़ता दिखाई, वह किसी चमत्कार से कम नहीं। लेकिन यह विजय अकेले मैदान की नहीं; यह उन लाखों बेटियों की जीत है जो खेल के माध्यम से अपनी पहचान गढ़ रही हैं। और इसी विजय के उत्सव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 5 नवंबर को आयोजित भोज और वार्तालाप ने इस क्षण को और भी यादगार बना दिया। यह मात्र एक औपचारिक सम्मान नहीं था, बल्कि एक गहन संवाद का मंच, जहां खेल, संघर्ष और सशक्तिकरण की कहानियां बुनी गईं।कल्पना कीजिए: 7, लोक कल्याण मार्ग का आंगन, जहां विश्व कप ट्रॉफी चमक रही हो, और उसके इर्द-गिर्द चैंपियन खिलाड़ी हंसते-मुस्कुराते अपनी यात्रा साझा कर रही हों। पीएम मोदी ने इस दो घंटे की मुलाकात को एक पारिवारिक सभा जैसा बना दिया। उन्होंने टीम की शुरुआती तीन हारों और सोशल मीडिया की कटु आलोचनाओं पर विजय का जिक्र किया। "आपकी वापसी ने साबित कर दिया कि असफलता अंत नहीं, बल्कि नई शुरुआत है," उन्होंने कहा। हरमनप्रीत कौर ने भावुक होकर 2017 की उस मुलाकात का स्मरण किया, जब टीम ट्रॉफी के बिना आई थी। "आज ट्रॉफी साथ है, और उम्मीद है कि आगे भी ऐसे मौके आएंगे," उन्होंने पीएम से कहा। स्मृति मंधाना ने जोर देकर बताया कि कैसे मोदी जी के शब्द महिलाओं को हर क्षेत्र में प्रेरित करते हैं। "आपका समर्थन हमें अतिरिक्त आत्मविश्वास देता है," उन्होंने कही। दीप्ति शर्मा का हनुमान जी का टैटू वाला किस्सा तो दिल छू गया—एक खिलाड़ी का आध्यात्मिक विश्वास जो मैदान पर ताकत बन जाता है।और फिर वह वायरल वीडियो क्षण: चोटिल प्रतिका रावल, जो टूर्नामेंट में 308 रनों की पारी खेल चुकी थीं, व्हीलचेयर पर। जब भोजन परोसने का समय आया, तो पीएम मोदी ने खुद थाली थाम ली और उन्हें सर्व किया। यह दृश्य न केवल विनम्रता का प्रतीक था, बल्कि एक संदेश—कि चैंपियनशिप केवल ट्रॉफी में नहीं, बल्कि मानवीय संवेदना में भी बसती है। टीम ने बदले में पीएम को 'नमो 1' साइन की हुई जर्सी भेंट की, जो उनके अटूट समर्थन का प्रतीक बनी। केक काटा गया, हंसी-ठिठोली हुई, और पीएम ने खिलाड़ियों से 'फिट इंडिया' अभियान को आगे बढ़ाने का आह्वान किया। "स्कूलों में जाइए, बेटियों को बताइए कि सपने बड़े होते हैं," उन्होंने कहा। यह वार्तालाप खेल से परे था—यह शिक्षा, स्वास्थ्य और लैंगिक समानता का पुल था।
इस घटना का महत्व केवल उत्सव तक सीमित नहीं। यह भारतीय खेल नीति की सफलता की कहानी है। 2014 से अब तक, मोदी सरकार ने खेल बजट को दोगुना से अधिक कर दिया है। 2025-26 के लिए 3,400 करोड़ का प्रावधान महिला खेलों पर विशेष फोकस के साथ आया। 'खेलो इंडिया' योजना ने 1,000 से अधिक युवा एथलीटों को मौका दिया, और 'टारगेट ओलंपिक पोडियम स्कीम' ने पैरा-एथलीटों को मजबूत किया। महिला क्रिकेट को भी इससे लाभ मिला—बीसीसीआई ने महिला प्रीमियर लीग (डब्ल्यूपीएल) को बढ़ावा दिया, जिससे खिलाड़ियों की आय और सुविधाएं बेहतर हुईं। लेकिन यह जीत चुनौतियों के बीच आई। टूर्नामेंट में शुरुआती हारों ने टीम को तोड़ने की कोशिश की, पर कोच अमोल मजूमदार की रणनीति और खिलाड़ियों का जज्बा जीत गया। प्रतिका रावल का शतक, 
है। पीएम का आह्वान—कि यह ट्रॉफी हर सपने देखने वाली लड़की की है—एक सशक्त संदेश है। वैश्विक संदर्भ में, भारत अब महिला क्रिकेट की नई शक्ति है। ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड के वर्चस्व को चुनौती देते हुए, हमने साबित किया कि एशियाई टीमें भी चैंपियन बन सकती हैं। लेकिन सवाल यह है: क्या यह जीत स्थायी होगी? इसके लिए जरूरी है कि सुविधाओं का विस्तार हो—ग्रामीण स्तर पर कोचिंग सेंटर, सुरक्षित खेल मैदान, और मीडिया कवरेज। सोशल मीडिया ट्रोलिंग जैसी बाधाओं से निपटने के लिए मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम भी आवश्यक हैं।राजनीतिक दृष्टि से, यह घटना मोदी सरकार की छवि को मजबूत करती है। आलोचक इसे प्रचार स्टंट कह सकते हैं, लेकिन सच्चाई यह है कि ऐसे सम्मान एथलीटों को मानसिक बल देते हैं। याद कीजिए 2021 टोक्यो ओलंपिक के बाद पीएम का स्वागत—नीरज चोपड़ा ने कहा था कि यह मुलाकात ने उन्हें भविष्य के लिए प्रेरित किया। इसी तरह, यहां हरमनप्रीत और कंपनी ने वादा किया: "अगली बार एक और ट्रॉफी लेकर आएंगे। यह भोज और वार्तालाप एक नई क्रांति की शुरुआत है। यह बताता है कि जब नेतृत्व और खेल एक साथ चलते हैं, तो असंभव संभव हो जाता है। भारतीय बेटियां अब मैदान पर ही नहीं, जीवन के हर क्षेत्र में चैंपियन बनेंगी। पीएम मोदी की यह पहल न केवल आज की विजय का सम्मान है, बल्कि कल की चैंपियंस को जन्म देने का वादा भी। आइए, हम सब मिलकर 'फिट इंडिया' को साकार करें, ताकि हर बेटी का सपना ट्रॉफी बने।

लेखक: स्वतंत्र टिप्पणीकार

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