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युगान्तरकारी संकल्प: 167 साल का अधूरा इतिहास अब अंतिम चरण में

झाँसी-​झाँसी की रानी सिंहासन पर: भारत में पहली बार स्थापित होगी महारानी की 'शासिका' प्रतिमा! कर्मयोगी संस्था का ऐतिहासिक प्रयास, झाँसी से राष्ट्रीय आह्वान आज तक, महान वीरांगना झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई की पहचान केवल घोड़े पर सवार एक योद्धा तक सीमित रही है। यह चित्रण उनके शौर्य को दर्शाता है, पर उनके राजसी सिंहासन और महारानी होने के गौरव को अधूरा छोड़ देता है।
​ *कर्मयोगी संस्था ने 167 साल के इस अधूरे इतिहास को पूरा करने का दृढ़ संकल्प लिया है।*
भव्यता :यह पहला अवसर होगा जब भारत में झाँसी की रानी की प्रतिमा उन्हें राजसी *सिंहासन पर आसीन महारानी के रूप में दर्शाएगी,* जो उनके शासकीय व्यक्तित्व को सर्वोच्च सम्मान देगी।
​झाँसी का गौरव: *यह प्रतिमा सबसे पहले झाँसी की धरती पर स्थापित होने की प्रबल संभावना है,* जो नगरी को रानी के सच्चे स्वरूप का साक्षी बनाएगी।​यह प्रतिमा रानी के 'रानीत्व' की पुनर्स्थापना है— केवल युद्ध नहीं, राज का भी प्रतीक! अमर सलाम उस 'रानी' को, जिसने सिंहासन की गरिमा के लिए वीरगति को चुना!*


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