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28 जून क़ो समाप्त हुई खनन अवधि - फिर भी बेलगाम जारी है खनन, जिला प्रशासन कि मौन स्वीकृति का राज क्या..?

डिंडोरी — जिले में खनन माफियाओं की बल्ले-बल्ले है और प्रशासन अपनी आँखों पर पट्टी बांधे बैठा है। यह हाल तब है जब जिले के अफसरों के पास न सिर्फ पूरी जानकारी है, बल्कि कई बार शिकायतें पहुँच चुकी हैं। इसके बावजूद कार्रवाई दूर-दूर तक नजर नहीं आती।पहले GRTC द्वारा किए जा रहे अवैध खनन का मामला उठाया गया था, जो कि जांच कि जद मे है।और अब ठीक उसी तरह शहपुरा–डिंडोरी मार्ग का निर्माण कर रही उदित इंफ्रा कंपनी भी पिछले चार महीनों से बरखोह और दुहनिया क्षेत्र में ताबड़तोड़ अवैध खनन कर राज्य सरकार क़ो लाखों रुपये के राजस्व कि चपत लगा रही है।

विभाग की खामोशी पर सवाल -- खनिज विभाग से जब जानकारी मांगी गई तो उन्होंने स्पष्ट कहा कि उदित इंफ्रा की खनन स्वीकृति 28 जून 2025 को ही समाप्त हो चुकी है।लेकिन बड़ा सवाल यह है कि अगर स्वीकृति खत्म हो चुकी है, तो फिर कंपनी बड़े पैमाने पर पत्थर निकालकर क्रेशर चला कैसे रही है?यह बात खुद खनिज अधिकारी जानते हैं, फिर भी न कोई नोटिस, न कोई कार्रवाई, न कोई जब्ती।क्या विभाग की चुप्पी किसी “अनुकंपा” का संकेत है ?

नियमों की उड़ रही धज्जियाँ -- कंपनी ने जिन स्थानों पर अस्थायी क्रेशर प्लांट लगा रखे हैं, वे न तो मानकों का पालन कर रहे हैं और न ही पर्यावरणीय स्वीकृति का।धूल, शोर और प्रदूषण के बावजूद बोर्ड और प्रशासन दोनों की चुप्पी कई सवाल खड़े करती है, कि क्या नियम सिर्फ आम नागरिकों के लिए हैं?

विस्फोटक का बेधड़क इस्तेमाल -- डिंडोरी जिला पहले ही संवेदनशील माना जाता है, और निरंतर प्रकाश में आया है कि जिला “बारूद के ढेर पर” बैठा है।उदित इंफ्रा कंपनी द्वारा बरखोह और दुहनिया क्षेत्र में बड़े पैमाने पर रोजाना विस्फोटक का प्रयोग किया जा रहा है।सबसे हैरानी की बात—न जिला प्रशासन पूछताछ करता है। न पुलिस पता लगाती है।न यह देखा जा रहा है कि इन विस्फोटकों की अनुमति किन शर्तों पर दी गई थी।और न ही यह कि नक्सल प्रभावित क्षेत्र में इतने विस्फोटक कौन, क्यों और किसकी छत्रछाया में इस्तेमाल कर रहा है? लिहाजा स्थिती देख यह सवाल भी खड़ा होता है कि क्या प्रशासन वाकई अनजान है या फिर अनदेखा कर रहा है ? या जब जिले में अवैध खनन मशीनों की गरज और विस्फोटों की आवाजें गूँज रही हैं,तो क्या वाकई प्रशासन को कुछ सुनाई नहीं देता ?

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