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कृषि विज्ञान केन्द्र, सोहांव, बलिया पर 05 दिवसीय रोजगारपरक प्रशिक्षण किया गया

आचार्य नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय कुमारगंज अयोध्या द्वारा संचालित कृषि विज्ञान केंद्र सोहांव बलिया पर पांच दिवसीय 10 नवंबर 2025 से 14 नवंबर 2025 तक रोजगारपरक प्रशिक्षण का आयोजन किया गया केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष डॉ संजीत कुमार ने प्रशिक्षण का शुभारंभ श्री कृष्ण देव राय ग्राम प्रधान अमाव के साथ दीप प्रज्वलित कर करते हुए कृषकों का स्वागत करते हुए किया डॉ संजीत कुमार ने बताया कि उच्च मूल्य वाली सब्जियां जैसे ब्रोकली, पारसले, सैलरी, ब्रसेल्स स्पाउट, एस्पैरागस, शिमला मिर्च, खीरा, हरी पत्तेदार सब्जिया आदि की अगेती एवं समय से खेती करके अधिक आमदनी प्राप्त की जा सकती है, प्रशिक्षण के आयोजक उद्यान वैज्ञानिक डॉ अवधेश कुमार द्वारा बताया गया कि उच्च मूल्य वाली सब्जियों की वैज्ञानिक खेती अधिक लाभकारी प्रक्रिया है जिसमें कई अलग-अलग पहलू शामिल होते हैं, आगे बताया गया कि जलवायु के अनुसार उपयुक्त समय पर प्रजाति और मिट्टी का चुनाव करना चाहिए अपनी स्थानीय जलवायु और मिट्टी के प्रकार के लिए सबसे उपयुक्त सब्जी की प्रजातियों का चयन करें तथा प्रजातियों का चयन करते समय तापमान, आर्द्रता, धूप और मिट्टी की संरचना पर विशेष ध्यान दें जिससे पौधे अधिक पैदावार दे सके तथा बाजार की मांग पर स्थानीय और क्षेत्रीय बाजारों में उच्च मांग वाली सब्जियों की पहचान करें। रोग और कीटों के प्रति प्रतिरोधी प्रजातियों का चयन करें ताकि कीटनाशी एवं फफूँदनाशी के उपयोग को कम किया जा सके। तथा ऐसी प्रजातियों का चयन करें जिनमें उच्च उपज देने की क्षमता हो। डॉ अनिल कुमार पाल के द्वारा किसानो को बताया गया कि बीज की बुवाई एवं रूपान्तरण
मिट्टी का परीक्षण करके ही करें और यह सुनिश्चित कर ले कि चयनित क़ी गई सब्जी बुवाई की जाने वाली के लिए उपयुक्त है कि नहीं तथा मिट्टी मे उपलब्ध पोषक तत्वों एवं उसका पी.एच. स्तर और जैविक पदार्थों का परीक्षण करवाएं जिससे पौधो की आवश्यकता के अनुसार, जैविक खाद (कम्पोस्ट, गोबर खाद, केंचुवा खाद) या रासायनिक उर्वरकों का उपयोग करके मिट्टी में सुधार करें। डॉ सोमेन्द्र नाथ ने नर्सरी से लेकर रूपांतरण के पश्चात की जाने वाली सिंचाई एवं उसकी विधि के बारे में विस्तार से बताया और यह भी बताया कि सब्जियों के खेत मे अधिक समय तक पानी नहीं रुकना चाहिए इसके लिए जल निकासी क़ी व्यवस्था सुनिश्चित करें ताकि पानी जमा न होने पाए और बताया कि उच्च मूल्य की सब्जियों की खेती में ड्रिप सिंचाई या स्प्रिंकलर सिंचाई का उपयोग करके कम पानी से अधिक उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं। डॉ अभिषेक यादव ने बताया कि बीज की बुवाई करने से पहले बीज शोधन तथा भूमि शोधन करके ही बीज की बुवाई करें कुछ बिमारियां बीज जनित एवं कुछ विमारिया भूमि जनित होती हैं जिससे पौधों में बिमारी का प्रकोप ना होने पाए और किसान की खेती की लागत कम हो जाए सब्जियों की नर्सरी मे मल्चिंग (जैसे, पुआल, प्लास्टिक) का उपयोग मिट्टी में नमी बनाए रखने, खरपतवारों को नियंत्रित करने और मिट्टी के तापमान को नियंत्रित करने में मदद करता है। डॉ मनोज कुमार ने प्रशिक्षणार्थियों को बीज और पौध प्रबंधन के बारे मे बताया और कहा कि किसान भाई विश्वसनीय स्रोतों से ही उच्च गुणवत्ता वाले प्रमाणित बीज खरीदें। तथा अपने प्रक्षेत्र पर बीज उत्पादन की तकनीकी के बारे मे बताया और आगे बताया कि किसान भाई अपने प्रक्षेत्र पर ही उच्च मूल्य वाली सब्जियों के बीज का उत्पादन करके लागत को कम कर सकते हैं तथा उसे बेचकर अधिक मुनाफा भी कमा सकते हैं और यदि आवश्यक हो, तो नियंत्रित वातावरण (ग्रीनहाउस या नर्सरी) में पौध तैयार करें तथा उपयुक्त समय और उचित दूरी पर पौध रोपण करें जिससे अधिक उत्पादन प्राप्त हो सके प्रशिक्षण के अंतिम दिन केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष डॉ संजीत कुमार द्वारा सभी प्रतिभागी किसानो को प्रमाण पत्र वितरित करते हुए धन्यवाद ज्ञापित किया गया इस अवसर केंद्र के प्रक्षेत्र प्रबंधक डॉ सतीश कुमार सिंह यादव कार्यक्रम सहायक धर्मेंद्र कुमार कार्यालय अधीक्षक अमित तिवारी राकेश कुमार सिंह स्टेनो एवं परिचर राम तौल सहित क्षेत्र के 20 प्रगतिशील किसान उपस्थिति रहे l

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