
आठनेर और झल्लार में जुआरियों का बेखौफ खेल; पुलिस अधीक्षक की आँख में धूल झोंकने की साजिश! वीडियो वायरल
पुलिस को गुमराह कर, थाना प्रभारियों के संरक्षण में चल रही जुए की 'फड़' का भंडाफोड़!
बैतूल/आठनेर। जिले के आठनेर और झल्लार थाना क्षेत्रों में जुए का अवैध कारोबार बड़े पैमाने पर फल-फूल रहा है, जिसके पीछे स्थानीय थाना प्रभारियों का 'आशीर्वाद' और जुआ चलाने वालों की शातिर रणनीति बताई जा रही है। प्राप्त जानकारी और वायरल वीडियो के अनुसार, आठनेर में संदीप, तिनकेश, राहुल, और संजय तथा झल्लार में सुरेश लाला जैसे प्रमुख जुआरी बेखौफ होकर जुए की 'फड़' संचालित कर रहे हैं। सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि यह पूरा खेल कथित तौर पर पुलिस अधीक्षक को गुमराह करके चलाया जा रहा है।
अंतरराज्यीय जुआ नेटवर्क का खुलासा: पड़ोसी राज्यों के खिलाड़ी शामिल!
इस जुए की 'फड़' की पहुँच केवल बैतूल जिले तक ही सीमित नहीं है, बल्कि यह एक बड़े अंतरराज्यीय नेटवर्क का हिस्सा बन चुकी है। वायरल वीडियो और सूत्रों के हवाले से पता चला है कि इन 'फड़ों' पर जुआ खेलने के लिए पड़ोसी राज्य महाराष्ट्र के अमरावती, काटोल, वरुड के साथ-साथ मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा, पांढुर्णा, और मुलताई जैसे दूर-दराज के क्षेत्रों से भी बड़े खिलाड़ी जुटने लगे हैं। यह जुआरी अपने वाहनों से ग्रामीण क्षेत्रों में पहुँचकर लाखों का दाँव लगाते हैं।
पुलिस को चकमा देने की शातिर रणनीति: '3-दिन, 1-स्थान' का नियम
आरोपियों - संदीप, तिनकेश, राहुल, संजय, और सुरेश लाला - द्वारा जुए के इस अवैध धंधे को चलाने में एक खास रणनीति अपनाई जा रही है, जिससे वे पुलिस की सीधी कार्रवाई से बच सकें। ये जुआ संचालक हमेशा कहीं न कहीं अन्य ग्रामीण या बाहरी क्षेत्रों में जुए की फड़ सजाते हैं।
"ये जुआरी एक स्थान पर 3 दिन से अधिक जुआ नहीं खिलाते हैं और न ही एक से ज़्यादा फड़ एक साथ सजाते हैं। ऐसा करने का एकमात्र उद्देश्य पुलिस को गुमराह करना और स्थानीय खुफिया तंत्र को सक्रिय होने से पहले ही अपना ठिकाना बदल देना है।"
इस तरह वे एक ठिकाना छोड़कर तुरंत दूसरे अनजान ग्रामीण क्षेत्र में फड़ सजा देते हैं। यह निरंतर स्थान परिवर्तन पुलिस के लिए जुआरियों पर लगाम कसना मुश्किल कर रहा है और संदेह है कि इस पूरी साजिश को थाना प्रभारी की मौन सहमति प्राप्त है।
सवाल: क्या पुलिस अधीक्षक लेंगे संज्ञान?
वायरल वीडियो और जुए के बेखौफ संचालन की खबर से स्थानीय पुलिस की कार्यप्रणाली पर गंभीर प्रश्नचिन्ह लग गया है। यह स्पष्ट रूप से उच्च अधिकारियों को गुमराह करने और जुआ संचालकों को थाना प्रभारियों द्वारा संरक्षण दिए जाने का मामला प्रतीत होता है।
अब देखना यह होगा कि पुलिस अधीक्षक महोदय इस गंभीर विषय पर कब संज्ञान लेते हैं और आठनेर व झल्लार के उन थाना प्रभारियों और पुलिसकर्मियों पर क्या कार्रवाई करते हैं, जिनके संरक्षण में यह अवैध कारोबार धड़ल्ले से चल रहा है।