logo

एक विहंगम यात्रा

14 नवंबर 2025 का वह दिन हमेशा स्मरण रहेगा जिस दिन सुबह 5:00 बजे हम राष्ट्रपति भवन के लिए निकले/ अवसर था बाल दिवस पर छात्र-छात्राओं को राष्ट्रपति महामहिम द्रौपदी मुर्मू से मिलने का /मैं स्वयं तथा मेरा छोटा भाई भी उपस्थित होने के लिए उत्सुक थे / मुख्य दरवाजे पर उपस्थित होने के साथ ही एक बड़ी सूची हमारे हाथ में थमा दी गई जिसमें 100 विद्यालयों के नाम थे, जिस पर अपना विद्यालय चयन करना मेरे लिए उत्कंठा पूर्ण रहा, जल्दी मेरी दृष्टि अपने विद्यालय के नाम पर पड़ी तो हमारा प्रवेश राष्ट्रपति भवन में सुनिश्चित हो सका / ठीक 9:30 बजे राष्ट्रपति भवन के संस्कृत परिसर में हमारा प्रवेश हो गया / सभी इलेक्ट्रॉनिक उपकरण तथा मोबाइल फोन जमा करने के बाद हम अपनी पंक्ति में जाकर बैठ गए तथा उस पल का इंतजार करने लगी जिस पल में राष्ट्रपति को आकर हम सभी को संबोधित करना था/ ठीक 10:30 बजे वहां राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू जी आयी तथा उन्होंने बच्चों को बाल दिवस की शुभकामनाएं दी / वहां महामहिम के आते ही राष्ट्रगान के लिए ध्वनि उत्पन्न हुई तथा सभी ने एक साथ होकर राष्ट्र गौरव के साथ राष्ट्रगान गाया / इसके बाद राष्ट्रपति के साथ छायाचित्र की होड़ के लिए क्रमानुसार अवसर मिलने लगा / मैं भी इस अनुभव के लिए बहुत उत्सुक था / जल्द ही वह समय आ गया जब राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू बिल्कुल मुख के सम्मुख खड़ी थी/ हमने झुक कर अभिवादन किया/ मैडम ने अभिवादन स्वीकार किया तथा फोटो सेशन के लिए अपने स्थान पर बैठ गई/ फोटो होने के बाद जल्द ही हम संस्कृतिक हॉल से बाहर आ गए /बाहर आते ही हमें राष्ट्रपति की ओर से एक-एक बॉक्स मिला /जिसमें खाद्य सामग्री, प्रतीक चिन्ह आदि थे / राष्ट्रपति के वहां से निकलने के बाद हम लोग वापस वहां से निकल सके /हम भी राष्ट्रपति संग्रहालय की ओर बढे वहा हमने देश की महत्वपूर्ण चीजों का संग्रह देखा / आईएनएस विक्रांत, एक पुराना विमान आदि देखकर हम इंडिया गेट की ओर बढे / अंत: में अक्षरधाम मंदिर में दिव्य दर्शन कर हम घर की बढे / इस यात्रा में द्रौपदी मुर्मू की विनम्रता, राष्ट्रपति भवन की दिव्यता कभी न भूलने वाली रही / ग्रामीण पृष्ठभूमि से निकलकर राष्ट्रपति जैसी महान शख्सियत से मिलना हमारे लिए यादगार बन गया /
✍️ अभिषेक धामा
यात्रा वृतांत

48
6041 views