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जल जीवन मिशन में भारी लूट! अधूरी योजनाएँ बनी मुसीबत, जल नहीं—सड़कें टूटीं, सिद्धार्थनगर

जल जीवन मिशन ग्रामीण योजना केंद्र सरकार और राज्य सरकार दोनों के लिए प्रश्न चिन्ह ?

जल जीवन मिशन ग्रामीण योजना का हाल जनपद सिद्धार्थनगर में बदहाली और भ्रष्टाचार की गवाही दे रहा है। गांव-गांव पानी पहुंचाने के उद्देश्य से शुरू की गई यह महत्वाकांक्षी योजना ज़मीन पर आते-आते दम तोड़ती नज़र आ रही है।

ग्राम पंचायत स्तर पर बनाए गए पानी के टैंक अधिकांश जगहों पर आधे-अधूरे खड़े हैं—न पाइपलाइन पूरी हुई, न ही नल कनेक्शन काम कर रहे हैं। स्थिति ये है कि अभी तक ग्रामीणों को एक बूंद पानी भी नसीब नहीं हुआ, लेकिन पंचायत की आरसीसी व इंटरलॉकिंग सड़कें जरूर बड़ी बेरहमी से खोदकर तोड़ डाली गईं।

ग्रामीणों का आरोप है कि ठेकेदारों और विभागीय मिलीभगत से कार्य शुरू तो किए गए, पर गुणवत्ता और समयसीमा दोनों को ताक पर रखकर मनमाना धन निकालने का खेल हुआ। कई जगह टैंक पूरी तरह अधूरे पड़े हैं, कहीं पाइपलाइन बिछाकर छोड़ दी गई है, तो कहीं नल लगाए ही नहीं गए।

ग्रामवासियों का कहना है कि —
“हमारे गांव में न पानी आया, न सुविधा मिली, उल्टा सड़कें टूटने से आवागमन और मुश्किल हो गया। योजना का नाम तो ‘हर घर जल’ है, लेकिन यहां तो हाल ‘हर गांव छल’ जैसा है।”

स्थानीय लोग जिला प्रशासन से मांग कर रहे हैं कि जल जीवन मिशन में हुए कार्यों की उच्च स्तरीय जांच हो, भ्रष्टाचार पर कड़ी कार्रवाई हो और अधूरे कार्य जल्द से जल्द पूरे करके ग्रामीणों को राहत दी जाए।

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