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गंगा जमुनी तहजीब की पहचान बना न्यू अपोलो हॉस्पिटल डिजिटल इंडिया ओर भारतीय सभ्यता की एक अद्भुत झलक क्या ही मनभावन संयोग है

“आज ऐसा महसूस हुआ कि दो धर्म नहीं, दो दिल इंसानियत के नाम पर एक साथ धड़क रहे थे।”
बगल-बगल पड़े दो बिस्तरों से उठी ये चर्चा सिर्फ अस्पताल के एक एक कमरे तक सीमित नहीं रही, बल्कि पूरी दुनिया के लिए प्रेम, सद्भाव और सौहार्द का संदेश बनकर फैल गई।
एक अस्पताल से मिला बड़ा सबक
आज मैं आपके सामने एक ऐसी सच्ची घटना लेकर आया हूँ, जिसने पूरे समाज को प्रेम, भाईचारे और कौमी एकता का अद्भुत संदेश दिया।
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ शहर के बाला गंज क्षेत्र के कर्बला अब्बास बाग के बगल मे स्थित न्यू अपोलो अस्पताल में, एक ही कमरे में बगल-बगल दो धर्मगुरु भर्ती थे—
एक महात्मा जी, और दूसरे मौलवी साहब।
धर्म अलग… पहचान अलग… लेकिन जब उन पर लोगों की नज़र पड़ी, तो नजर आया सिर्फ एक ही चीज़—इंसानियत।
शुरुआत में दोनों चुप थे।
लेकिन जैसे ही उन्होंने एक-दूसरे का हाल पूछा, कमरा प्रेम और सौहार्द से भर गया।
समाज में बढ़ते तनाव पर चिंता जताते हुए कहा कि इंसानियत ही सबसे बड़ा धर्म है।
महात्मा जी ने सेवा, करुणा और दया की बात की।
मौलवी साहब ने अमन, दुआ और भाईचारे की।
दोनों ने कहा—
“धर्म का असली काम जोड़ना है, दीवारें खड़ी करना नहीं।”
उनकी बातचीत सुनकर अस्पताल का पूरा माहौल बदल गया।
सबके चेहरों पर मुस्कान आ गई।
एक छोटी-सी मुलाक़ात ने एक बड़ा संदेश दे दिया कि
इंसानियत सबसे बड़ा धर्म है।
साथियों,
यह घटना हमें सिखाती है कि
हमारे कपड़े, भाषा और पूजा अलग हो सकती है…
लेकिन हमारा दिल, हमारी भावनाएँ और हमारी मानवता एक ही है।
यही है भारत की असली पहचान—
कौमी एकता, सद्भावना, प्रेम और सौहार्द।
आइए, हम सब मिलकर यह संकल्प लें कि
हम नफ़रत नहीं, केवल इंसानियत को जगह देंगे।
फर्क़ नहीं, सिर्फ़ प्यार बाँटेंगे।
और एक ऐसा समाज बनाएँगे जहाँ हर दिल में शांति, भाईचारा और सम्मान हो।
“महात्मा जी और मौलवी साहब—दो धर्म, एक इंसानियत।”
“जहाँ दिल मिलते हैं, वहाँ धर्म की दीवारें खुद गिर जाती हैं।”
“कौमी एकता हमारी ताकत—इंसानियत हमारा धर्म।”
“अस्पताल के एक कमरे से उठा प्रेम और सौहार्द का संदेश।”
“बीमारी ने नहीं, इंसानियत ने जोड़ा।”
“सद्भावना ही असली स्वास्थ्य है, समाज का भी और दिलों का भी।”
“अस्पताल में बगल-बगल भर्ती महात्मा जी और मौलवी साहब ने दुनिया को दिखा दिया—
धर्म हमें अलग नहीं करता… इंसानियत हमें एक करती है।
कौमी एकता, प्रेम और सद्भावना—यही है असली भारत।
धन्यवाद।
सर्वधर्म एकता जिन्दाबाद सूफिज्म जिन्दाबाद जिन्दाबाद
जय हिंद!!
मेरा मज़हब इश्क़ का मज़हब जिस में कोई तफ़रीक़ नही
मेरे हल्क़े में आते हैं 'तुलसी' भी और 'जामी' भी
सुहैल अहमद वारसी
सदस्य
आल इंडिया मीडिया एसोशिएशन
जिला संवाददाता
नेक्स्ट मीडिया
हरदोई (उ०प्र०)
☎️ +91-8400854505
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