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डाॅ. हरी सिंह गौर एशिया के पहले दानवीर जिन्होंने पूरी निजी कमाई विश्वविद्यालय बनाने दान में दी- पूर्व खुरई विधायक भूपेन्द्र सिंह

खुरई 22 नवम्बर– डा. हरी सिंह गौर सागर के लिए भगवान का रूप थे। मैं आज जो भी हूं तो उनके कारण ही हूं।
डा.गौर एशिया के ऐसे एकमात्र दानवीर हैं जिन्होंने अपनी निजी कमाई से अर्जित संपत्ति को दान करके ऐसा विश्वविद्यालय स्थापित किया जिसने पिछड़े बुंदेलखंड क्षेत्र के लाखों गरीबों को शिखर तक पहुंचने योग्य बनाया।
यह उद्गार पूर्व गृहमंत्री, खुरई विधायक श्री भूपेन्द्र सिंह ने डा हरी सिंह गौर की 156 वीं जयंती पर आयोजित ‘गौर उत्सव‘ के सांस्कृतिक कार्यक्रमों के शुभारंभ कार्यक्रम को संबोधित करते हुए व्यक्त किए।
डा गौर डा हरीसिंह गौर सेंट्रल यूनिवर्सिटी सागर के संस्थापक के अलावा दिल्ली व नागपुर विश्वविद्यालयों के भी कुलपति थे। उनकी पहल से भारत में सुप्रीम कोर्ट की स्थापना हुई। उनकी कोशिशों से भारत में महिला वकीलों को अदालतों में प्रैक्टिस करने की अनुमति मिली। वे संविधान निर्माण समिति के सदस्य थे और उस दौर के दुनिया के सर्वश्रेष्ठ आठ वकीलों में उनका नाम शामिल था। वे श्रेष्ठ विधिवेत्ता थे जिनकी लिखी कानून की पुस्तकों को आज भी लंदन के ला कालेजों में पढ़ाया जाता है।
उनके बनाए हिंदू मैरिज एक्ट के कारण महिलाएं ऐसे केसों में जेल जाने से बचीं।
गौर को ‘भारत रत्न‘ की उपाधि बहुत पहले ही मिल जाना चाहिए थी। पूर्व में भाजपा सरकार ने इस आशय का प्रस्ताव पास करके केंद्र सरकार को भेजा था और हम लोग मुख्यमंत्री डाॅ. मोहन यादव से भेट कर पुनः यह प्रस्ताव भिजवाने का आग्रह करेंगे।
विधायक भूपेंद्र सिंह ने आगे कहा कि,22 जिलों के 160 कालेज इस विश्वविद्यालय से संबद्ध थे। उनकी विश्वविद्यालय की परिकल्पना वैश्विक थी। भूगर्भ शास्त्र, अपराध शास्त्र, मानवशास्त्र, फार्मेसी, मनोविज्ञान, योग, दर्शन शास्त्र,अंग्रेजी साहित्य जैसे विभाग सागर विश्वविद्यालय में ही हुआ करते थे।
पूर्व गृहमंत्री, खुरई विधायक श्री भूपेन्द्र सिंह ने बताया कि उस दौर में 15000 छात्र एनरोल्ड होते थे। उन्होंने कहा कि मैं 1978 मैं एडमीशन के प्रथम वर्ष से ही विश्वविद्यालय की छात्र राजनीति में सक्रिय हुआ और अनेक चुनाव लड़े कई पदों पर चुना गया।
छात्रसंघ और छात्र महासंघ के चुनाव के लिए प्रदेश के 22 जिलों के 160 कालेज तक पहुंचने में एक महीना लग जाता था। सेंट्रल यूनिवर्सिटी बनाने और सागर में मेडीकल कालेज खोलने की मांगों को लेकर कई बार आंदोलन किए जिनके कारण अनेक बार जेलों में रहना पड़ा।
पूर्व गृहमंत्री, खुरई विधायक श्री भूपेन्द्र सिंह ने आज के कुछ विश्वविद्यालयों की कार्यप्रणाली पर कटाक्ष करते हुए उनमें शिक्षा की गुणवत्ता की आलोचना की।
साथ ही कहा कि विगत वर्षों में हमारे डा हरी सिंह गौर विश्वविद्यालय में आए कई कुलपतियों ने डा गौर की भावना के अनुरूप समर्पित भाव से कार्य नहीं किया जिससे गौर जयंती के आयोजन औपचारिकताओं की तरह मनाए जाने लगे थे। उन्होंने कहा कि अब कुलगुरू डा वाय एस ठाकुर के कार्यकाल में ऐसा लग रहा है कि डा गौर जयंती के सभी आयोजन पूरी तैयारी के साथ लगाव, उत्साह और आत्मीयता से आयोजित हो रहे हैं।
इस अवसर पर टाइम्स कॉलेज, दमोह आर एल एम कॉलेज,खुरई पं बृजकिशोर पटैरिया महाविद्यालय मालथौन, विद्यादेवी आर्केस्ट्रा कॉलेज जुन्नारदेव सुन्दरलाल श्रीवास्तव कॉलेज मकरोनिया , ठा. फेरन सिंह कला एवं वाणिज्य महाविद्यालय शाहपुर,
ऐरीसेन्ट कॉलेज ऑफ ऐजूकेशन बीना लिटिलस्टेप कॉलेज ऑफ साइंस एण्ड टक्नोलॉजी बोरगांव सौसर ओमश्री महाविद्यालय सागर आदि महाविद्यालयों द्वारा मनमोहक नृत्य व सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुतियां दीं

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