
"जीवन क्षणभंगुर, वर्तमान का सम्मान करें" आचार्य विनिश्चय सागर जी, "करिष्यामि नहीं मरिष्यामि का स्मरण करें" प्रवचन में आचार्य श्री का संदेश।
कोटा। परमपूज्य आचार्य 108 विनिश्चय सागर जी महाराज ससंघ ने कुन्हाडी स्थित रिद्धिी सिद्धि दिगम्बर जैन मंदिर में अपने प्रवचन में कहा कि मनुष्य अक्सर यह मान लेता है कि जीवन बहुत लंबा है, जबकि वास्तविकता में यह अत्यंत संक्षिप्त है। गृहस्थ जीवन की व्यस्तताओं के बीच लोग धर्म और आध्यात्मिक साधना के लिए समय नहीं निकाल पाते। उन्होंने कहा कि “करिष्यामि” के स्थान पर “मरिष्यामि” का स्मरण होना चाहिए, क्योंकि जीवन क्षणभंगुर है और इसके प्रति सजग रहना ही विवेक है।
आचार्य श्री ने कहा कि मनुष्य की इच्छाओं की कोई सीमा नहीं—वह कामधेनु से भी अधिक अपेक्षाएँ पाल लेता है। कामधेनु की सीमाएँ थीं, पर मनुष्य की कामनाएँ अनंत हैं। इसलिए आवश्यक है कि वर्तमान का सम्मान करें, ताकि भविष्य में वही वर्तमान हमारे जीवन का सम्मान बढ़ा सके। आज अधिकांश लोग ऐसे कर्म कर रहे हैं जो वर्तमान की महत्ता को कम करते हैं, जबकि जो कार्य भविष्य के लिए शुभ हैं, उन्हें अभी करना चाहिए।
भक्त के अर्थ का विवेचन करते हुए उन्होंने कहा कि जब व्यक्ति भगवान और परमात्मा के समक्ष खड़े होकर स्वयं को संसार से अलग अनुभव करता है, तभी वह सच्चा भक्त बनता है। यदि संसार के मोह से जुड़ाव बना रहे, तो परमात्मा की गुणधारा के निकट आना संभव नहीं।
धर्मसभा में सविता देवी बज, आदित्य बज परिवार, पदम–मंजू, विनोद–शशि बाला सिंघल परिवार, प्रकाश–प्रेरणा मेहरूवाले, पंकज–वंदना खटोड़, लाड़देवी–राजेंद्र गोधा (खजूरी वाले) तथा संजय लुहाड़िया ,सकल दिगंबर समाज के महामंत्री पदम बड़ला, मंदिर अध्यक्ष राजेन्द्र गोधा, मंत्री पंकज खटोड, कोषाध्यक्ष ताराचंद बड़ला, पारस कासलीवाल, पारस लुहाड़िया, अशोक सांवाला, निर्मल अजमेरा, अशोक पापडीवाल, सुरेन्द्र पापडीवाल, सुरेश जैन, पारस आदित्य, सेवानिवृत्त न्यायाधीश जितेन्द्र कुमार, महावीर बड़ला, राजकुमार पाटनी, नरेन्द्र कासलीवाल, अजीत गोधा, वर्धमान कासलीवाल, अनिल मित्तल, मनीष सेठी, संजय लुहाड़िया सहित बड़ी संख्या में श्रावक–श्राविकाएं शामिल रहे।
मंदिर अध्यक्ष राजेंद्र गोधा ने बताया कि परमपूज्य गणाचार्य 108 विराग सागर जी महाराज के प्रभावी शिष्य आचार्य 108 विनिश्चय सागर जी महाराज ससंघ का भव्य मंगल प्रवेश मंगलवार सुबह 7:15 बजे ऋद्धि–सिद्धि नगर, कुन्हाड़ी में संपन्न हुआ। आचार्य श्री तलवंडी मंदिर से विहार कर पधारे, जहां रजत सिटी और महाराणा प्रताप सर्किल पर गणिनी आर्यिका 105 विभाश्री माताजी ससंघ ने उनका मंगल स्वागत किया।
रिद्धि–सिद्धि मंदिर के महामंत्री पंकज खटोड़ ने बताया कि “णमो लोए सव्व साहूणं” के मंगल उद्घोष के बीच गुरु सेवक संघ तथा दिगंबर जैन समाज द्वारा आचार्य श्री का पादप्रक्षालन कर भावपूर्ण वंदना की गई।