
देहरादून: अवैध निर्माणों पर एमडीडीए की देरी से जागरूकता। अब ‘ब्लैकलिस्ट’ की चेतावनी, लेकिन वर्षों से चले आ रहे फर्जीवाड़े पर कब लगेगा पूरा अंकुश?
देहरादून। मसूरी-देहरादून विकास प्राधिकरण (एमडीडीए) ने अब जाकर अवैध निर्माणों और जमीन फर्जीवाड़ों पर सख्ती दिखाने की पहल की है, लेकिन बड़ा सवाल यह है कि दशकों से चल रहे अनियमित निर्माण, खुलेआम नियमों की धज्जियाँ उड़ाते बिल्डर्स और ढीली मॉनिटरिंग के लिए जिम्मेदारी किसकी है?
प्राधिकरण ने बार-बार नियम तोड़ने वाले बिल्डर्स को ब्लैकलिस्ट करने का निर्णय तो लिया है, लेकिन यह निर्णय तब आया है जब शहर के कई हिस्से अवैध प्लॉटिंग, गलत मैप पासिंग और अनियोजित निर्माण के बोझ से चरमराने लगे हैं।
लैंड बैंक की योजना अच्छी, पर क्या देर से उठाए गए कदम जनता का भरोसा लौटा पाएंगे?
एमडीडीए अब कम बजट हाउसिंग के लिए लैंड बैंक तैयार करने की बात कर रहा है। यह कदम निश्चित रूप से स्वागतयोग्य है, लेकिन सवाल यह भी उतना ही महत्वपूर्ण है—अब तक प्राधिकरण अपनी ही जमीनों, अधिग्रहण योजनाओं और विकास नियंत्रण को लेकर इतनी निष्क्रिय क्यों रहा?
देहरादून में लगातार बढ़ते जमीन फर्जीवाड़े और मनमाने दामों के लिए लंबे समय से प्रभावी नियंत्रण और सख्त निगरानी तंत्र की मांग की जाती रही है, लेकिन अब जाकर कदम उठाए जा रहे हैं।
अवैध निर्माण रोकने का दावा, लेकिन वास्तविकता में कार्रवाई हमेशा ‘घटना के बाद’ ही क्यों?
प्राधिकरण दावा करता है कि अवैध निर्माणों पर लगातार कार्रवाई हो रही है, पर ज़मीनी हकीकत यह है कि—
• कई मंज़िलों वाले अनियमित बिल्डर-फ्लोर वर्षों तक बनते रहे,
• नियमों का उल्लंघन खुलेआम होता रहा,
• और प्राधिकरण का इंस्पेक्शन व मॉनिटरिंग सिस्टम लगभग नाम मात्र का दिखा।
अब दो से अधिक मंजिल वाले बिल्डर-फ्लोर पर रोक लगाने और उल्लंघनकर्ताओं को सील करने के आदेश दिए जा रहे हैं। लेकिन यह कार्रवाई तब की जा रही है जब कई कॉलोनियाँ पहले ही अवैध निर्माण की मार झेल रही हैं, और खरीदार लाखों का नुकसान उठाने के बावजूद न्याय की उम्मीद में भटक रहे हैं।
बार-बार नियम तोड़ने वालों को अब ब्लैकलिस्ट—लेकिन क्या यह कार्रवाई टिकाऊ होगी?
एमडीडीए के पास सभी मैप और निर्माणों का ऑनलाइन रिकॉर्ड मौजूद है। सवाल यह है कि जब डाटा पहले से उपलब्ध था, तो बार-बार नियम तोड़ने वाले बिल्डर्स की पहचान जल्दी क्यों नहीं की गई?
अब कहा जा रहा है कि ऐसे बिल्डर्स को चिन्हित कर ब्लैकलिस्ट किया जाएगा। लेकिन यदि यह प्रक्रिया सिर्फ एक और ‘काग़ज़ी कार्रवाई’ बनकर रह गई, तो इसका लाभ न जनता को मिलेगा, न शहर को।
मुख्य मुद्दा: सख्ती की घोषणा आसान, पारदर्शिता और निगरानी प्रणाली सुधारना कठिन -
देहरादून में तेजी से विस्तार और जमीन की मांग को देखते हुए प्राधिकरण पर पारदर्शी सिस्टम और मजबूत मॉनिटरिंग लागू करने की जिम्मेदारी बहुत पहले से थी।
फिर भी—
• अवैध कॉलोनियों की बढ़ती संख्या,
• दबंग बिल्डर्स का प्रभुत्व,
• और धीमी प्रशासनिक प्रक्रिया
खुद एमडीडीए के कामकाज पर सवाल उठाती रही है।
अब की गई घोषणाएँ तभी प्रभावी होंगी जब प्राधिकरण—
• नियमित निरीक्षण,
• भ्रष्टाचार पर शून्य सहनशीलता,
• और ऑनलाइन अनुमोदन प्रक्रिया को सख्त पारदर्शी प्रणाली में बदले।