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5 दिसंबर को राज्यभर में विराट मोर्चा, शिक्षकों के भविष्य पर बढ़ी चिंता

नासिक, संवादाता

सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले के बाद देशभर के प्राथमिक, माध्यमिक, निजी, नगरपरिषद, मनपा और आश्रमशालाओं के शिक्षकों के भविष्य पर बड़ा सवाल खड़ा हो गया है। इस निर्णय का असर संपूर्ण शिक्षा व्यवस्था पर दिखाई दे रहा है। इसी पृष्ठभूमि में कई संस्थाओं और संगठनों ने याचिकाएं दाखिल की हैं, जबकि राज्य सरकार को थर्ड पार्टी बनाए जाने के कारण सरकार एक साथ दो अलग भूमिका नहीं निभा सकती। इसी वजह से पुनर्विचार याचिका दाखिल करने का विकल्प भी पीछे रह गया है।

शिक्षकों के न्यायसंगत अधिकारों की रक्षा के लिए संगठनों का कहना है कि NCTE को TET संबंधी अधिसूचना जारी करने से पहले सेवेत कार्यरत सभी शिक्षकों के हक का संरक्षण करना जरूरी है। इसके लिए केंद्र सरकार को शिक्षा का अधिकार कानून और NCTE अधिसूचना में संशोधन करना ही होगा।

यही मुद्दा संसद के शीतकालीन सत्र में मजबूती से उठाने के लिए शुक्रवार, 5 दिसंबर 2025 को राज्यभर में शाळाएँ बंद रखकर विराट मोर्चा निकाला जाएगा। इस मोर्चे के माध्यम से राज्य के सांसदों और जनप्रतिनिधियों तक शिक्षक समुदाय की भूमिका पहुँचाने का प्रयास किया जाएगा।

इस आंदोलन को सफल बनाने के लिए महाराष्ट्र राज्य प्राथमिक शिक्षक समिति, शिक्षक संघ थोरात गट, जुनी पेंशन संघटना, अखिल भारतीय उर्दू शिक्षक संघटना® समेत राज्य की करीब 35 शिक्षक संगठन एक मंच पर आए हैं। अन्य संगठनों को भी जोड़ने के लिए संवाद जारी है, ताकि आंदोलन की गूंज राज्य से लेकर नयी दिल्ली तक पहुंचे।

अखिल भारतीय उर्दू शिक्षक संघटना® के राज्य अध्यक्ष इल्हाजुद्दीन फारुकी ने बताया कि 23 नवंबर को TET परीक्षा में बड़ी संख्या में शिक्षक शामिल हुए, लेकिन परिणाम और सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद कई शिक्षक चिंता में हैं। कई शिक्षकों ने संघटनाओं के प्रतिनिधियों को फोन कर आगे का मार्गदर्शन भी मांगा है।

फारुकी ने कहा कि यह लड़ाई किसी प्रतिष्ठा की नहीं है, बल्कि शिक्षक समुदाय के अस्तित्व और अधिकारों की रक्षा के लिए है। इसलिए सभी संगठनों और शिक्षकों को एकजुट होकर 5 दिसंबर के आंदोलन को सफल बनाना होगा।

राईट हेडलाईन्स ब्युरो

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