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बिहार चुनाव में ऐतिहासिक रिकॉर्ड! पहली बार विधानसभा में शून्य निर्दलीय विधायक, स्वतंत्र उम्मीदवारों का पत्ता साफ

बिहार विधानसभा चुनाव में इस बार एक ऐतिहासिक रिकॉर्ड दर्ज हुआ है। राज्य के चुनावी इतिहास में यह पहली बार हुआ है कि एक भी निर्दलीय (स्वतंत्र) उम्मीदवार विधायक बनकर विधानसभा नहीं पहुंच सका है।
इस बार के चुनाव परिणाम ने एक बड़े राजनीतिक ट्रेंड की पुष्टि की है, जिसमें निर्दलीय विधायकों की संख्या लगातार कम होती जा रही है। एक समय था जब बिहार विधानसभा में निर्दलीय उम्मीदवारों का मजबूत प्रतिनिधित्व होता था। रिकॉर्ड के अनुसार, एक चुनाव में 33 तक स्वतंत्र एमएलए विधानसभा पहुंचे थे।
साल 2000 के बाद से निर्दलीय विधायकों की संख्या में गिरावट का जो सिलसिला शुरू हुआ था, वह 2020 के चुनाव में घटकर मात्र 1 पर आ गया था, और अब, 2025 के चुनाव में यह आंकड़ा शून्य (Zero) हो गया है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह स्थिति मुख्य रूप से बड़े राजनीतिक दलों की बढ़ती ताकत, सीमित संसाधनों वाले स्वतंत्र उम्मीदवारों के लिए चुनाव लड़ना मुश्किल होने और वोटर के ध्रुवीकरण की वजह से हुई है। बिहार की राजनीति में अब पूरी तरह से दलगत प्रभुत्व स्थापित हो चुका है।

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