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शासन की लापरवाही के कारण एक किस को और देनी पड़ी अपनी जान

बागेरी गुना की घटना सिर्फ़ दुखद नहीं—यह सरकार की खुली लापरवाही का परिणाम है।
पिछले 15–20 दिनों से पूरे मध्यप्रदेश में किसान DAP और अब यूरिया के लिए सुबह 6 बजे से रात 10 बजे तक लाइन में खड़े हैं।
ना पानी,
ना बैठने की जगह,
ना व्यवस्था… और सरकार मुँह फेरकर बैठी है।

जब हजारों लोग हर दिन वितरण केंद्रों पर पहुँच रहे हैं, तो तैयारियाँ क्यों नहीं की गईं?
एक आदिवासी बहन को 10–12 घंटे लाइन में क्यों खड़ा रहना पड़ा?
महिलाओं और दिव्यांगजनों के लिए अलग लाइन का प्रावधान कई जगह है—तो बागेरी में क्यों नहीं?

यह दुर्घटना नहीं, सरकार की नाकामी से हुई मौत है।
हमारी संवेदनाएँ उस परिवार के साथ हैं, लेकिन संवेदनाओं से पेट नहीं चलता।

मैं सरकार को स्पष्ट कहना चाहता हूँ—
◼ पीड़ित परिवार को अधिकतम सहायता दी जाए।
◼ खाद वितरण व्यवस्था में लापरवाही करने वालों पर तुरंत सख्त कार्रवाई हो।

अन्नदाता खाद के लिए तड़प रहा है,
लाइन में दम तोड़ रहा है,
और सरकार सिर्फ़ बयान दे रही है।

किसानों के साथ यह अन्याय अब और बर्दाश्त नहीं!”**

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