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बक्सर में जाम और रफ़्तार : दोहरी मार से त्रस्त जन-जीवन


बक्सर शहर आज एक ऐसे मोड़ पर खड़ा है, जहाँ विकास की गति तो दिखती है, लेकिन उस विकास की कीमत आम लोग अपनी सुरक्षा, समय और मानसिक शांति से चुका रहे हैं। शहर की सड़कों पर बढ़ता बेतहाशा ट्रैफिक, निरंतर लगने वाले लंबे-चौड़े जाम, और वाहनों की नियंत्रणहीन रफ्तार अब सिर्फ असुविधा नहीं, बल्कि एक गंभीर संकट बन चुके हैं।

जाम: रोजमर्रा की पीड़ा

बक्सर के मुख्य चौराहों—चौक बाजार, बस स्टैंड, इंद्रेश्वर नगर, सिविल कोर्ट रोड और खासकर NH-922—पर जाम रोज की समस्या बन चुकी है।
इस जाम का असर केवल यात्रियों पर ही नहीं बल्कि व्यापार, आपातकालीन सेवाओं और स्कूल जाने वाले बच्चों पर भी पड़ रहा है। लोग घंटों तक फँसे रहते हैं लेकिन समस्या के समाधान की पहल अब भी अधूरी दिखाई देती है।

जाम की वजहें साफ हैं—

सड़कों की सीमित चौड़ाई

सड़क किनारे की अवैध पार्किंग

फुटपाथों पर अतिक्रमण

बढ़ता वाहन दबाव

ट्रैफिक पुलिस की कमी


रफ़्तार की कोई सीमा नहीं

दूसरी ओर, जाम से परेशान लोग जैसे ही खाली सड़क देखते हैं, गाड़ियों को ऐसे दौड़ाते हैं जैसे सड़क उनकी निजी संपत्ति हो। विशेष रूप से NH-922 पर ओवरस्पीडिंग ने दुर्घटनाओं का ग्राफ तेजी से बढ़ाया है।

गाँवों के पास, व्यस्त चौक-चौराहों पर, स्कूलों के आसपास वाहनों पर न तो स्पीड कंट्रोल है, न ही पुलिस की नियमित निगरानी।

जाम और तेज रफ्तार—ये दोनों ही परस्पर विरोधी होते हुए भी बक्सर में समान रूप से मौजूद हैं, और यही शहर की सबसे बड़ी विडंबना है।

जन-जीवन पर गिरता बोझ
एम्बुलेंस और मेडिकल इमरजेंसी में मरीज जाम में फँस जाते हैं।
स्कूल समय में माता-पिता और छात्र तनाव में रहते हैं।
व्यापारियों को सामान लाने-ले जाने में कठिनाई होती है।
आम जनता मानसिक और शारीरिक थकान से जूझ रही है।

प्रशासन की भूमिका: उम्मीद अधूरी

बार-बार शिकायतों के बावजूद ट्रैफिक मैनेजमेंट प्रणाली सुधर नहीं रही
नए पार्किंग क्षेत्र विकसित नहीं किए गए
अतिक्रमण को हटाने की कार्रवाई अधूरी है
ओवरस्पीड वाहनों पर कड़ी कार्रवाई का अभाव है
शहर के बढ़ते विस्तार के लिए ट्रैफिक सिस्टम पुराने ढर्रे पर चल रहा है, जबकि जरूरत पूरी तरह से आधुनिक और सख्त व्यवस्था की है।

क्या किया जा सकता है?

इन समस्याओं का समाधान नामुमकिन नहीं—बस इच्छाशक्ति चाहिए।
1. नगर के भीतर नो-एंट्री ज़ोन तय हों
2. अवैध पार्किंग के खिलाफ कड़ी कार्रवाई
3. ट्रैफिक पुलिस की संख्या बढ़ाई जाए
4. स्पीड ब्रेकर और CCTV का विस्तार
5. बाइपास व रिंग रोड परियोजनाओं को गति
6. व्यस्त क्षेत्रों में मल्टी-लेवल पार्किंग का निर्माण
7. जनता में ट्रैफिक अनुशासन को लेकर जागरूकता अभियान

बक्सर की सड़कों पर जाम और बेकाबू रफ़्तार ने लोगों का जीवन असहनीय बना दिया है। यदि अभी भी ध्यान नहीं दिया गया, तो यह समस्या आने वाले वर्षों में बक्सर के विकास को ही पीछे धकेल देगी।
अब आवश्यक है कि प्रशासन, जनप्रतिनिधि और नागरिक—तीनों मिलकर इस संकट को गंभीरता से लें और शहर को राहत दिलाने की दिशा में ठोस कदम उठाएँ।

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