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चार करोड़ की लागत से बन रहा छतरपुर–ओमेक्स रेलवे अंडरपास… नारियल फोड़ने से आगे नहीं बढ़ा काम

रुद्रपुर - ओमेक्स सोसायटी और छतरपुर क्षेत्र को जोड़ने वाला चार करोड़ रुपये की लागत का रेलवे अंडरपास निर्माण कागज़ों और शिलान्यास तक ही सीमित होकर रह गया है। शिलान्यास को एक वर्ष बीत चुका है, लेकिन काम का एक इंच भी आगे नहीं बढ़ा। रेलवे लाइन के कारण करीब 30 हजार की आबादी को आज भी जिला मुख्यालय पहुंचने के लिए कई किमी का चक्कर लगाना पड़ रहा है।
तीस हजार की आबादी का इंतजार जारी
छतरपुर क्षेत्र की 53 कॉलोनियों की समस्याओं को देखते हुए रेलवे ने अंडरपास मंजूर किया था। पिछले वर्ष 13 नवंबर को सांसद अजय भट्ट ने विधायक शिव अरोरा की मौजूदगी में भूमि पूजन कर निर्माण शुरू कराने का दावा किया था। सांसद ने कहा था कि तकनीकी दिक्कतें दूर कर ली गई हैं और छह माह में अंडरपास तैयार हो जाएगा। लेकिन पूरा प्रोजेक्ट शिलान्यास से आगे नहीं बढ़ पाया।
रेलवे अधिकारियों के अनुसार प्रस्तावित स्थल पर भूमिगत पानी निकलने की समस्या के कारण निर्माण शुरू नहीं हो सका। एक वर्ष बीतने के बाद भी पानी निकासी की उचित व्यवस्था नहीं बनाई जा पाई है, जिससे स्थानीय लोगों में नाराजगी बढ़ गई है।
शिलान्यास पर शिलान्यास… काम शून्य
13 नवंबर 2024 से पहले भी दो बार अंडरपास निर्माण का शुभारंभ किया गया।
2 जून 2024: कांग्रेस के निवर्तमान पार्षद मोहन खेड़ा ने नारियल फोड़कर काम शुरू कराया, अगले ही दिन प्रशासन ने रोक दिया।
14 जून: काम रुकने से नाराज़ ग्रामीणों ने कलक्ट्रेट घेराव किया, जिसके बाद जांच कमेटी गठित हुई।
20 जून: विधायक शिव अरोरा ने निरीक्षण कर जल्द कार्य कराने का आश्वासन दिया।
8 अक्टूबर: निवर्तमान मेयर रामपाल सिंह ने फिर नारियल फोड़कर काम शुरू कराने की घोषणा की, लेकिन काम आगे नहीं बढ़ा।
13 नवंबर: सांसद अजय भट्ट ने शिलान्यास किया, पर उपलब्धि फिर भी शून्य रही।
DM के निर्देश भी बेअसर
मानसून काल में डीएम नितिन सिंह भदौरिया ने रेलवे अधिकारियों को बरसात बाद काम शुरू करने के निर्देश दिए थे। मानसून खत्म होने के बाद दो महीने बीत चुके हैं, लेकिन स्थल पर खोदा गया गड्ढा अभी भी करीब एक मीटर पानी से भरा है।
रेलवे की ओर से दावा
सीनियर सेक्शन इंजीनियर (वर्क), पूर्वोत्तर रेलवे प्रवीण कुमार के अनुसार—
“पानी कम किया जा रहा है। शीतकाल में भूमिगत पानी निकलने की संभावना कम रहती है। यदि कोहरे से पानी नहीं बढ़ा तो 15 दिन बाद निर्माण शुरू कर दिया जाएगा। रेलवे द्वारा स्थल परिवर्तन का कोई प्रस्ताव नहीं है। निर्माण सामग्री मौके पर मौजूद है।”
स्थानीय लोग कहते हैं— अब भरोसा नहीं… काम दिखाओ
लगातार शिलान्यास, नारियल फोड़े जाने और वादे किए जाने के बावजूद काम न होने से लोग खुद को ठगा महसूस कर रहे हैं। जनता की नाराज़गी का आलम यह है कि अब लोग सिर्फ एक ही बात कह रहे हैं—
“नारियल नहीं, काम चाहिए।”

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