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समाज शर्मसारः लॉकडाउन में 4 बेटों ने बूढ़े दिव्यांग माता-पिता को भूखों मरने के लिए छोड़ा

शिवपुरी। इस कोरोना काल में समाज की कई तस्वीरे समाने आई हैं। एक तस्वीर उनकी है, जो दूसरों की पेट की तड़प नहीं देख सके और घर से निकलकर मानव धर्म अपनाते हुए परोपकार की भावना से अन्न यज्ञ किया। कई समाजसेवी संस्थाएं, कई समाजसेवी लोगों ने राशन और जरूरत की सामग्री समाज के जरूरतमंद लोगों को दान की।

इस लॉकडाउन में समाज की ऐसी तस्वीर भी सामने आई है, जो दूसरो की छोड़ों, अपनों की मदद नहीं कर पा रहे हैं। इस लॉकडाउन में क्या, इससे पूर्व ही उन्हें त्याग कर चले गए। नगर पालिका में यह तस्वीर उस वक्त कैद की गई, कानों से कम सुनाई देने वाला वृद्ध पिता अपनी अंधी पत्नी का हाथ पकडकर  मदद मांगने नगर पालिका आया। इस बुजुर्ग दंपति के चार बेटों ने पूर्व से ही त्याग दिया है।  

कान से दिव्यांग पति माखन सिंह आंखों से दिव्यांग पत्नी पार्वती के साथ गुरुवार को नगरपालिका पहुंचकर बोला कि, ‘ घर में खाने को कुछ नहीं है, कैसे जीवित रहेंगे।’ पड़ोसियों ने जब इस बात की पुष्टि कर कहा कि,‘इनके चार बेटे मजदूरी करते हैंपरंतु इनके साथ कोई नहीं, अतः इन्हें राशन दे दो।इस पर सीईओ जिला पंचायत एचपी वर्मा ने बुजुर्ग दंपति को 10 किलो आटे की थैली देकर कहा कि, ‘अभी यह लीजिए, आगे और भी मदद करेंगे।’


राशन मिला तो खुश होकर घर गए दिव्यांग दंपति
गोशाला निवासी माखन सुन तो नहीं सकते,पर बोले कि, ‘उनके चार बेटे हैं, पर वे मजदूरी करते है। घर में उनको भी काम न होने से परेशानी में है। इसलिए हमें मदद नहीं मिलती। राशन नहीं था और आस-पास से भी खाना पानी की व्यवस्था नहीं हो पा रही थी। इस वजह से वार्ड की महिलाएं जब नगरपालिका राशन की मांग के लिए आ रही थी तो इनके साथ हम भी आ गए।’ 10 किलो आटा पाकर वह खुश नजर आए।

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