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स्त्रियों के लिए भयमुक्त समाज

स्त्रियाँ सबके घर में हैं किंतु स्त्रियों हेतु भयमुक्त समाज की स्थापना में किसी की विशेष रुचि नज़र नही आती। इस आधुनिक और तथाकथित सभ्य समाज में स्त्रियों के लिए अकेले चलना या रहना आज भी आसान नहीं। ऐसा कोई दिन नही जब स्त्रियों को गंदी नज़र या फब्तियों का सामना ना करना पड़ता हो।

ऐसे लोग जो इस प्रकार की हरकत करते हैं उनके घर में भी स्त्रियाँ होती हैं लेकिन वो कभी इस बारे में नही सोचते। ऐसे लोग अगर एक बार ऐसी हरकत करने से पहले अपनी बहन या बड़ी होती बेटी के बारे में सोचें तो शायद इनकी सोच बदले। इन सब में थोड़ी गलती स्त्रियों की भी है जो वो चुपचाप ये सब सहती हैं।

आज जबकि सरकार हर स्तर पर स्त्रियों की सुरक्षा हेतु संकल्पित है और एंटी-रोमियो दल और मिशन शक्ति के माध्यम से स्त्रियों की सुरक्षा और सम्मान को पुनर्स्थापित करने को प्रयासरत है तो स्त्रियों को भी ऐसे मानसिक रोगियों के प्रति आवाज़ उठानी चाहिए।

शशीधर चौबे
अल्लापुर, प्रयागराज

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