घोसी, विकास की मुख्य धारा से अब तक कोसो दूर क्यु?
जनपद मऊ
घोसी जनपद की चार तहसीलो मेें से एक होने के साथ बहुत पुरना भी है इस के अतीत मे जने पर पता चलता है कि यहाएक राजा हुआ करते थे जिन का नाम
नहुस था उन्ही के नाम पर इस का नाम नहुशी पडा जो समय के साथ परिवर्तित
हो कर घोसी हो गया और आज इसी नाम सेे जाना जाता है। यह बलिया से पश्चिम
और आज़मगद से पूर्व की दिशा मे है गोरखपुर व गाज़ी पुर की सीमाये भी इससे लगती हैं। इसका इतिहास,इतना पुराना होने के बाद भी यह इलाका अब भी विकास की मुुुख्य धारा सेे नही जुड पाया। और इस का सब सेे मुख्य कारण यह रहा कि यहाँ जितने भी जन प्रतिनिधि हुये अधिकांश घोसी से नही थेे और कल्पनााथ राय को छोड कर किसी ने भी इसे सजाने सवारने व इस के उत्थान के लिये लालसा नहीं दिखाई।