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राजकीय अतिथि के रूप में जैनाचार्य श्री विश्वरत्नसागर जी का मुख्यमंत्री निवास में किया स्वागत

देहरादून। जीवन में अगर गुरू मिल जाये ओर उस पर भी जैन संत (गुरु) का मार्गदर्शन हो तो वह व्यक्ति जीवन को सरलता से ओर अधिक उंचाईयों को छू पाता है। उपरोक्त बात कहते हुए श्री पुष्करसिंह धामी मुख्यमंत्री उत्तराखंड ने कहा कि मेरे जीवन में आज का दिन सर्वाधिक मूल्यवान है।

 परम पूज्य आचार्य देवेश श्री नवरत्नसागर सूरीश्वर जी के परम शिष्य समग्र जैन समाज को नई दिशा देने वाले पूज्य युवाचार्य श्री विश्वरत्नसागर सूरीश्वर जी को आज अपना गुरु बनाने का सौभाग्य मुझे मिला यह दिन अविस्मरणीय व यादगार रहेगा उपरोक्त उद्गार उत्तराखंड के यशस्वी मुख्यमंत्री श्री पुष्करसिंह धामी ने पूज्य आचार्य श्री विश्वरत्नसागर सूरीश्वर को अपने मुख्यमंत्री निवास देहरादून में राजकीय अतिथि के रूप में स्वागत करते समय व्यक्त किये। उन्होनें आगे कहा कि मैनें पहली बार जैन धर्म को इतने नजदीक से जाना है बहुत प्रभावित हूं, ओर आज से आपको सदैव अपने गुरु रूप में स्थापित करता हूं।

सम्पूर्ण उत्तराखंड राज्य की जनता की सुख-समृद्धि ओर राज्य की प्रगति करने के लिए गुरू से आशीर्वाद प्राप्त किया।

 
 नवरत्न परिवार के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री राजेश जैन (डगवाले) एवं राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी यशवंत सांकला ने संयुक्त रूप से जानकारी दी पूज्य जैनाचार्य श्री विश्वरत्नसागर सूरीश्वर मुख्यमंत्री श्री पुष्करसिंह धामी की अगुयाई में करीब 3 घंटों तक लगातार गुरु देव के साथ रहते हुए आचार्य श्री विश्वरत्नसागर सूरीश्वर जी ने मुख्यमंत्री निवास में श्री धामी के लिए विभिन्न अनुष्ठान जाप आदि किये।

वही युवाचार्य ने अपने प्रवचनों में कहा कि पहली बार कोई अजैन मुख्यमंत्री को जैन धर्म ओर जैन गुरु के लिए इतना प्रभावित देखा। यह निश्चित ही श्री धामी की कोई पुण्यवानी का ही परिणाम है।

आपके जीवन का कल्याण हो ओर आपके माध्यम से उत्तराखंड राज्य की जनता ओर यहां के प्राचीनतम तीर्थो मन्दिरों ओर मां गंगा ओर हिमालय पर्वत की सेवा ओर विकास करने का सौभाग्य आपको मिला है यह निश्चित ही आपके मन की पवित्रता, कोमलता ओर सत्यता के कारण ही ईश्वर ने योग प्रदान किया है।

आचार्य श्री ने जैन धर्म के बारे में विस्तृत जानकारी दी ओर साथ ही श्री धामी को अभक्ष्य खाद्य वस्तुओं के बारे में जानकारी दी जिसे स्वीकार्य करते हुए उन्होने सभी अभक्ष्य वस्तुओं का सेवन नही करने की बात कही। 
कृृतज्ञन मुख्यमंत्री पहुंचे गुरू को 1 किमी तक विहार करवाने
 जैन साधु संतो का पैदल आना जाना ओर उनके विहार में जैन बंधुओं का साथ होना स्वभाविक है किन्तु किसी राज्य का मुख्यमंत्री किसी जैन आचार्य के लिए करीब एक किलोमीटर तक पैदल चलकर उन्हें छोड़ने आये यह अचरज की बात है अपने प्रोटोंकॉल के चलते उत्तराखंड के मुख्यमंत्री जब देहरादून में अपने गृह निवास से पहली बार पैदल चले हो तो वहां की जनता के लिए अचरज की बात है ओर साथ में फिर जैन संत को साथ लेकर पूरे प्रोटोंकॉल के साथ चलना कतृज्ञन मुख्यमंत्री श्री धामी जैसे बिरले ही कर पाते है।

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