मां के चरणो में स्वर्ग है।
विषय मां के चरणो मे स्वर्ग है कविता हाथों की लकीरेंहाथों की लकीरों का जिक्र किया तूने ए- दोस्तमुझे वो मां का आंचल और याद आ गया वो जमानायाद आ गया फिर से मुझे वो गुजरा जमाना.....मां शब्द है बड़ा प्यारा सबके दिल का है सहारा भगवान का रुप होती है मां सृष्टि की करती पालनामुझे मां का वो आंचल और याद आ गया वो जमाना याद आ गया ......जब हम दुनिया में आए तो मां के हाथों की वो छुवनमेरे और मां की हाथों की लकीरों का प्यार भरा मिलनयाद आ गया फिर से मुझे वो गुजरा जमाना....मां के हाथों की लकीरों से वो रोटियों का छुवनखाने में प्यार की डांट से देना दही और मक्खनयाद आ गया फिर से मुझे वो गुजरा जमाना...थोड़ा बड़ा होने पर हाथ पकड़ स्कूल ले जानाअपने हाथों की लकीरों से छूकर कलम का पकड़ानायाद आ गया फिर से मुझे वो गुजरा जमाना.....हाथों से मेहनत करो ये सबक मां और गुरु जी का सीखानामेहनत करते हुए हाथों और भाग्य की रेखा को सजानायाद आ गया फिर से मुझे वो गुजरा जमाना....हम सब बड़े होने पर भूल जाते हैं क्यों मां का वो आंचल पुरानाहमारी भाग्य रेखा बनाते बनाते मां बाप के हाथों की लकीरों का मिट जानायाद आ गया फिर से मुझे वो गुजरा जमाना....आओ हम मां बाप के चरणों में सेवा की बहादे गंगा, जमुनाउनके हाथों को पकड़े रहे और लकीरों का फिर से हथेलियों में सजानायाद आ गया फिर से मुझे वो गुजरा जमाना...लेखिका विजयलक्ष्मी हरियाणा